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ज्ञान सीखने के लिए श्रद्धा आवश्यक है : स्वामी प्रेमानंद

सुप्रसिद्ध सत्संगी देवनारायण भगवान की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित की गई सत्संग सभा

जमालपुर। सुप्रसिद्ध सत्संगी एवं छोटी केशोपुर संतमत सत्संग आश्रम के पूर्व सचिव स्वर्गीय देव नारायण पासवान की प्रथम पुण्यतिथि पर छोटी केशोपुर में विशेष संतमत सत्संग सभा आयोजित कर उन्हें सत्संगियों ने भावभीनी श्रद्धांजलि दी।


इस अवसर पर पुष्पांजलि, सत्संग, प्रवचन, भजन, गुरु कीर्तन, आरती गान के माध्यम से सदगुरु महाराज की आराधना की गई।

मुख्य प्रवचनकर्ता संतमत के वरिष्ठ महात्मा पूज्य स्वामी प्रेमानंद जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि स्वर्गीय देवनारायण बाबू का पूरा जीवन संतमत सत्संग के प्रचार प्रसार में लगा रहा।

वे कई वर्षों तक छोटी केशोपुर स्थित संतमत सत्संग आश्रम के सचिव पद पर आसीन रखते हुए जिला समिति एवं अखिल भारतीय समिति के सदस्य भी रहे थे।

वे बड़े साधनशील एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति के सत्संगी थे। वे सत्संग अधिवेशन के आयोजन में बढ़-चढ़कर सहयोग करने में आगे रहते थे। वे याचको को कभी खाली हाथ नहीं लौटाते थे। कई सत्संग आश्रम की स्थापना में भी उनकी अग्रणी भूमिका रही थी। यही कारण है कि आज उनके निधन के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें सत्संगी लोग बड़े श्रद्धा से याद कर रहे हैं।

अपने प्रवचन में उन्होंने आगे कहा कि ज्ञान सीखने के लिए श्रद्धा चाहिए। परमात्मा सर्व व्यापक हैं और वे कण-कण में वास करते हैं। सत्संग करने से संशय दूर होता है। भगवान शिव भी सत्संग सुनने जाते थे। मनुष्य जन्म पाने की सार्थकता परमात्मा की भक्ति करने में ही है।

परमात्मा प्राप्ति का मार्ग मनुष्य शरीर के अंदर ही है, बाहर भटकने की जरूरत नहीं है। कछुए की पीठ पर बाल जन्म लेना संभव हो सकता है परंतु बिना परमपिता परमात्मा के भक्ति के बिना मानव का कल्याण संभव नहीं है।

सत्संग सभा की अध्यक्षता वरिष्ठ सत्संगी हरिश्चंद्र मंडल एवं सत्संग अनिल कुमार उर्फ पप्पू जी कर रहे थे।

मौके पर प्रभाकर बाबा, कपिल देव बाबा, हरीश चंद्र मंडल, अनिल कुमार उर्फ पप्पू, राजन कुमार चौरसिया, सूर्यनारायण मंडल, विशुन देव पंडित,प्रकाश चंद्र मोदी, कैलाश तांती, पवन चौरसिया, द्वारिका विश्वकर्मा, सुनील चौधरी, अर्जुन दास, हरिश्चंद्र मंडल, प्रकाश दास, सुभाष चौरसिया, मनोज तांती, अनिल कुमार, राजन चौरसिया, जानकी देवी, रंजना देवी, विमला देवी, रेखा, माला, रूपम देवी, चंदन, बंटी सहित दर्जनों सत्संगी मौजूद थे।

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