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मिठाई दुकान संचालिका आशा देवी ठोंगा बनाकर बढ़ा रही अपना आय

जमालपुर। पॉलिथीन बंदी के बाद बिहार में एक ओर जहां पॉलीथिन के विकल्प के रूप में नॉन वोवन कैरी बैग की मांग बढ़ रही है तो वहीं कागज से बने ठोंगा (पेपर पैकेट) को लेकर भी उपभोक्ताओं कि रुझान बढ़ी है। पॉलिथीन बैग को पूर्ण रूप से बैन किए जाने के बाद खाद्य सामग्रियों के लिए लोग कागज से बने ठोंगा को अधिकांश प्रयोग में ला रहे हैं। जिस प्रकार से बाजार में आऊंगा की मांग बढ़ रही है उसी प्रकार ठोंगा निर्माण का धंधा भी तेजी से फलने-फूलने लगा रहा है। जुबली वेल चौराहा के समीप मिठाई दुकान संचालित कर रही आशा देवी अपनी आय बढ़ाने के लिए स्वयं खाली समय में ठोंगा निर्माण करने में जुटी है। आशा देवी ने बताया कि पॉलिथीन बैन से उपभोक्ताओं को थोड़ी परेशानी तो बढ़ी है। मगर, सरकार के इस पहल ने पॉलीथिन से उत्पन्न होने वाले नुकसान से लोगों को बचाया है। कागज से बने ठोंगा में मिठाई, समोसा एवं अन्य खाद्य सामग्री लोगों के स्वास्थ्य पर हानि नहीं पहुंचाता है। साथ ही साथ, इसमें खाद्य कई घंटों तक फ्रेश रहता है।

रोजाना 200 ठोंगा का करती है निर्माण

आशा देवी ने बताया कि दुकानदारी के बाद खाली समय में वह अंदर के कमरे में बैठकर कुछ घंटों के मेहनत में रोजाना औसतन 100-200 ठोंगा का निर्माण करती है। इनमें से आधे ठोंगा का इस्तेमाल उनके ही दुकान में हो जाता है। बाकी बचे  ठोंगा को वह एक रूपया प्रति ठोंगा की दर से बाजार में सप्लाई करती है। पुराने अखबार से ठोंगा निर्माण कार्य शुरू करने के बाद से उनके आय में भी थोड़ी बढ़ोतरी हुई है। कोई भी बेरोजगार व्यक्ति ठोंगा निर्माण कार्य को लघु उद्योग के रूप में स्थापित कर सकता है। इस क्षेत्र में अभी काफी संभावनाएं हैं।

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