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किशनगंज : जिला पदाधिकारी ने बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाकर पल्स पोलियो अभियान का किया शुभारंभ

-5 दिवसीय पोलियो अभियान में एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं द्वारा पिलाई जाएगी दवा

– 3.43 लाख से अधिक बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का रखा गया है लक्ष्य

– 0 से 5 वर्ष तक के बच्चों को जरूर दें “दो बूंद जिंदगी की” ख़ुराक

किशनगंज,31 जनवरी 

जिले में पांच दिन तक चलने वाले पल्स पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। जिसका उद्घाटन रविवार को जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश के द्वारा शहर के फरिन्गोला के पासवान टोला के शिशुओं को पोलियो ड्रॉप पिलाकर हुआ | यह अभियान 31 जनवरी से 4 फरवरी तक जिले के सभी प्रखंडों मे चलेगा। इस अवसर पर जिला पदाधिकारी डॉ आदित्य प्रकाश ने कहा पोलियो की दो बूंद दवा बच्चों को पोलियो जैसे गंभीर रोग से बचाएगी। अभियान का मुख्य उद्देश्य जिले के सभी 0 से 5 साल तक के बच्चों को पोलियो की खुराक पिलानी है। इसके लिए सभी लोग अपने बच्चों को पोलियो की खुराक जरुर पिलाएं तथा सही तरीके से सभी टीम काम करे ताकि एक भी बच्चे ना छूट पाये।नवजात शिशुओं में विकलांगता होने के प्रमुख लक्षणों में से एक हैं पोलियो, जिसको जड़ से मिटाने के करने के लिए जिले में राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गयी है . इस दौरान सिविल सर्जन डॉ. श्री नंदन ने बताया कि पोलियो एक गंभीर बीमारी है जो किसी व्यक्ति के शरीर को लकवाग्रस्त कर देता है।. छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बहुत कम होती है, इसलिए उसे इस बीमारी से संक्रमित होने की सम्भावना ज्यादा होयी है इसे होने से पहले ही खत्म कर देने के लिए 0 से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को पोलियो की दवा पिलाई जा रही है।. उन्होंने जिले के निवासियों से अपील करते हुए कहा कि आपलोग अपने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए उन्हें पोलियो की दवा पिलाकर अभियान को सफल बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाये। उद्घाटन के दौरान सिविल सर्जन डॉ श्री नंदन, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ रफत हुसैन, जिला कार्यक्रम प्रबन्धक डॉ मुनाजिम ,यूनिसेफ के एसएमसी एजाज अफजल, डब्लूएचओ के एसएमओ डॉ.अमित कुमार, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ कश्यप, बीएचएम अजय कुमार, स्वास्थ प्रशिक्षक राजीव कुमार , पाथ के मो आदिल एवं सीफार के जिला समन्वयक सहित कई अन्य पदाधिकारी मौजूद थे

ज़िले में 3.43 लाख से अधिक बच्चों को दवा पिलाने का रखा गया है लक्ष्य:
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. रफत हुसैन ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिए जिले के सभी एएनएम, आशा व आंगनबाड़ी सेविकाओं के द्वारा डोर टू डोर भ्रमण कर 0 से 5 वर्ष तक के सभी बच्चों को पोलियो की “दो बूंद” दवा पिलाई जाएगी। जिले में 0 से 5 वर्ष तक के लक्षित बच्चों की संख्या 3.43 लाख है.।इसके लिए घर-घर जाकर दवा पिलाने के लिए जिले में 1042 भ्रमणशील टीम बनाई गई है, जिसके द्वारा कुल 3.60 लाख घरों में भ्रमण करने के लिए 927 टीम के अलावा जिले के विभिन्न चौक-चौराहों पर भी दवा पिलाने के लिए जिले में 90 ट्रांजिट टीम बनाई गई है इसके अलावा ईंट भठ्ठा व घुमंतू आबादी वाले क्षेत्रों में भी दवा की पहुंच बनाने के लिए 25 मोबाइल टीम तैयार की गई है। सभी टीम की निगरानी के लिए 315 पर्यवेक्षको की टीम भी बनाई गई है। टीम में कुल 847 आशा एवं 885 आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता तथा तीन भ्रमणशील टीम पर एक पर्यवेक्षक बनाया गया हैं।.

बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने से होती है पोलियो:
डीआईओ डॉ. रफत हुसैन ने बताया कि पांच साल तक के बच्चों के लिए पोलियो की खुराक बहुत जरुरी है। इससे पोलियो के वायरस को शरीर में पनपने की जगह नहीं मिलती है। 5 साल तक के बच्चों को बार-बार पोलियो की खुराक पिलाने से ही देश से पोलियो का खात्मा संभव है। पोलियो एक खतरनाक लकवाग्रस्त वायरस जनित रोग है। बच्चों में प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण उसे पोलियो की सम्भावना ज्यादा रहती है। यह बीमारी विशेष रूप से रीढ़ के हिस्सों व मस्तिष्क को ज्यादा नुकसान पहुंचाता है।. इससे बचाव के लिए लोगों को अपने बच्चों को पोलियो की दवा जरूर पिलानी चाहिए।. उन्होंने यह भी बताया कि दक्षिण-पूर्व एशिया समेत भारत को 2014 से ही पोलियो मुक्त घोषित किया गया है, लेकिन आस-पड़ोस के देश जैसे: पाकिस्तान, अफगानिस्तान आदि देश अभी भी पोलियो से ग्रसित है वहां से आने वाले लोगों द्वारा यह भारत में भी फैल सकता है इसलिए हमें सावधान रहने की जरूरत है। जिसके लिए अभियान चलाया जा रहा है।

कोविड: 19 के संक्रमण से बचाव का रखा जाएगा ख्याल:
डब्लूएचओ के एसएमओ अमित कुमार ने बताया कि पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान के दौरान कोविड-19 संक्रमण काल से बचाव का पूरा ध्यान रखा जाएगा. इसके लिए सभी कर्मियों द्वारा दवा पिलाने के समय सोशल डिस्टेंसिंग, चेहरे पर मास्क व हाथों में ग्लब्स पहनने के लिए दिशा – निर्देशों का पालन करने के लिए पहले ही प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

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