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गुजरात कमाने गए लोगों के लिए कोरोना बड़ी आपदा से कम नहीं

पाली, 15 मई। (राजस्थान एसबीएन डेस्क) बारां जिले से गुजरात में कमाने गए 33 लोगों के लिए कोरोना महामारी किसी बड़ी आपदा से कम नहीं रही।

लाॅकडाउन के कारण गुजरात से अपने घर जाने के लिए श्रमिक पैदल ही निकल पड़े। सात दिन मडगांव गुजरात से पैदल रवाना हुए यह लोग बुधवार को बाली के समीप श्रीसेला पहुंचे। यहां स्थानीय ग्रामीण व प्रशासन ने उनकी कुशलक्षेम जानी और खाने की व्यवस्था करने के बाद बारां जिले के सहबाद गांव के लिए शुक्रवार को रवाना किया। उस दौरान श्रमिकों की खुशी का ठिकाना ही नही रहा।

जिला कलक्टर अंश दीप ने बताया कि गुजरात के मडगांव से सात दिन से पैदल लगभग चार सौ किमी से उपर का सफर कर बाली उपखण्ड़ के श्रीसेला पहुंचे। आदिवासी सहरिया जाति के 33 नागरीकों को फालना डीपों की रोड़वेज बस से बारां जिले के सहबाद गांव के लिए शुक्रवार दोपहर रवाना किया गया। इनमें 11 पुरूष, 7 महिला एवं 15 बच्चों के साथ दो गर्भवती महिलाएं भी शामिल है। श्रमिकों के श्रीसेला पहुंचने पर गांव वालों को उनकी हालत देखी नहीं गई तो उन्हें पोस्ट ऑफिस के पुराने भवन में ठहराया और खाने की व्यवस्था कराई। इसकी जानकारी बाली के उपखण्ड अधिकारी श्रीनिधि बीटी को मिली तो वे हाथों-हाथ श्रीसेला पहुंचे और उनकी कुशलक्षेम जानी। उपखण्ड अधिकारी श्रीनिधि बीटी ने बताया कि गुजरात के मड गांव में ईट्ट भट्टे में कार्य करने वाले श्रमिक संचैर व जालोर के रास्तें होते हुए पैदल श्रीसेला पहुंचे। इन श्रमिकों को मास्क व सेनिटाइजर वितरित किए। राजस्थान पथ परिवहन निगम की फालना डीपों से बस की व्यवस्था करके उन्हे अपने घरों की ओर रवाना किया। श्रमिकों को बिस्किट व पानी की बोतल के दो-दो कार्टून देकर रवाना किया गया। उपखण्ड अधिकारी ने गांव वालों की तरफ से एकत्रित की गई चार हजार रुपयें की राशि भी श्रमिकों को सुपूर्द की। तहसीलदार सर्वेसर निम्बार्क ने सभी श्रमिकों को बस में सोशियल डिस्टेंसिंग की पालना करते करने के साथ गांव जाकर 14 दिन होम क्वारेंटाइन में रहने व बार-बार हाथ धोते रहने व मास्क के उपयोग की हिदायत दी। मेडिकल टीम ने प्रत्येक यात्री की थर्मन स्क्रीनिंग करते हुए उनके हाथों को सेनेटाईड किया। बस में सवार होते ही ये लोग भावुक हो गए प्रशासन के प्रति शुक्रिया अदा करने के लिए इनके हाथ बस के रवाना होने से लेकर अधिकारियों व ग्रामीणों के चेहरें ओछल नही होने तक हाथ जोड़े रहे। उनके चेहरों पर घर जाने की खुशी देखी गई। साथ ही मौजूद प्रशासन अधिकारियों द्वारा भी श्रमिकों की मद्द कर सकुन देखा गया। अधिकारियों ने हाथ हिलाकर श्रमिकों को अभिवादन किया।
इस मौके पर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक बृजेश कुमार सोनी, ब्लाॅक चिकित्सा अधिकारी डाॅ. हितेन्द्र वागोरिया, नायब तहसीलदार नरेन्द्र, डाॅ. प्रेम कुमार, डाॅ. ताहिर, मोहम्मद अजरूदीन, प्रेम प्रकाश, मनोज कुमार, सरपंच महिपालसिंह चैहान, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, एएनएम, प्रधानाध्यापक का सहयोग रहा।
श्रमिक रवि सहरिया ने बताया कि गुजरात के मडगांव में मजदूरी करने के लिए गए थे। लाॅक डाउन होने से रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया ऐसे में गांव जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं था। साधन नहीं मिलने पर पैदल ही बारां जाने के लिए निकल गए। रास्तें में जो मिला वही खाया पीया, कई बार भुखा रहना पड़ा। बाली प्रशासन की बड़ी मेहरबानी रही इन्होंने हमारे लिए गांव जाने के लिए बस की व्यवस्था की। ग्रामीणों ने हमारे लिए भरपेट भोजन की व्यवस्था की। ऐसे अधिकारी हमारे लिए फरिश्ते से कम नहीं है।
जशोदा ने कहा कि मडगांव में मजदूरी करने के लिए गए थे वहां कामधंधा बंद होते ही भुखे मरने की नोबात आ गई। जो पैसे थे वो खत्म हो गए। ऐसे में पैदल ही निकल पड़े लगातार पैदल चलने से पैरों में छाले भी पड़ गए। सात दिन बाद वे श्रीसेला पहुंचे। यहां हमारे लिए ग्रामीणों ने भोजन की व्यवस्था की। अधिकारियों ने बस की व्यवस्था कर हमें घरों के लिए रवाना कर रहे है। साथ में खानों के पैंकेट, पानी की बोतलें व सेनेटराईज भी दिए है। प्रशासन का सहयोग हमेशा याद रहेगा।

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