जमालपुर। जमालपुर शहर को पेयजल मुहैया कराने एवं भूमिगत वाटर लेवल बनाए रखने के उद्देश्य से जमालपुर शहर के हृदय स्थली माना जाने वाला जुबली वेल चौराहा के बीचो-बीच अंग्रेजों द्वारा जुबली कुआं का निर्माण कराया गया।
जुबली कुआं जहां रोजाना हजारों लोगों की प्यास बुझाई करती थी, वहीं इस कुएं का आध्यात्मिक जुड़ाव भी रहा है।
एकाक्षर धाम के नाम से प्रसिद्ध सदकर्मा आश्रम के संचालक स्वामी मुकेशानंद जी महाराज ने बताया कि आश्रम के द्वारा विगत करीब 10 वर्षों से गर्मी के दिनों में आश्रम के द्वारा निशुल्क पेयजल शिविर की व्यवस्था जुबली कुआं के पानी से ही किया जाता रहा है।
नवरात्रि के मौके पर जमालपुर में भंडारा का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भंडारे में भोजन बनाने एवं श्रद्धालुओं के लिए पीने के लिए भी जुबली कुआं के पानी का ही प्रयोग किया जाता रहा है। जुबली कुआं के बंद होने से इस बार सांकेतिक विरोध के तौर पर आश्रम की ओर से भंडारा का कार्यक्रम रद्द किया गया है।
आम लोगों ने भी जुबली कुआं बंद किए जाने पर जताया एतराज
एक ओर जहां नगर परिषद प्रशासन एवं दर्जनभर वार्ड पार्षद ऐतिहासिक जुबली कुआं को बंद करने के समर्थन में खड़ा है वहीं कुछ वार्ड पार्षद दबे जुबान ही जुबली कुआं को बंद किए जाने के खिलाफ अपनी निजी राय रख रहे हैं।
जबकि आम जनता सौंदर्यीकरण के नाम पर जुबली कुआं को बंद कर इसे इतिहास के पन्ने में दफन करने के प्रयास को साजिश करार दे रहे हैं।
स्थानीय निवासी विजय कुमार संजीव कुमार ने कहा कि एक ओर नगर परिषद प्रशासन जमालपुर शहर में एक बदनुमा दाग बन चुका जर्जर सब्जी मंडी के निर्माण के लिए पैसे की अनुपलब्धता का रोना रोकर अपने हाथ खड़े कर लेती है। वही नगर परिषद प्रशासन सरकार के जल संरक्षण के नियम का उल्लंघन करते हुए ऐतिहासिक जुबली कुआं को बंद कर उसके ऊपर फव्वारा और लाइटिंग लगाने में आम जनता के पैसे का दुरुपयोग कर रही है।
वरिष्ठ समाजसेवी चंद्रशेखर चौरसिया एवं इंद्रदेव मंडल ने कहा कि आगामी 11 अक्टूबर से जुबली कुआं को बंद किए जाने के खिलाफ उनके धरना को देखते हुए नगर परिषद प्रशासन ने आनन-फानन में कुआं के ऊपर ढलाई कराकर इसे पूरी तरह से बंद कर दिया है। नगर परिषद प्रशासन के इस कदम से आसपास के क्षेत्र के जलस्तर पर भी प्रभाव पड़ेगा।