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पूर्णियाँ : सुरक्षित मातृत्व के चार स्तंभों में गर्भनिरोधक भी एक स्तंभ

13 प्रतिशत मातृ मृत्यु दर के लिए असुरक्षित गर्भपात ज़िम्मेदार

गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल से मातृ मृत्यु दर में 44 प्रतिशत तक की कमी संभव
• गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल से प्रतिवर्ष 23 करोड़ नए जन्मों में कमी

पूर्णियाँ: 28 नवम्बर

मातृ मृत्यु दर में कमी लाने के लिए सरकार द्वारा कई स्तर पर निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं. सुरक्षित मातृत्व को अधिक बढ़ावा देकर मातृ मृत्यु दर में कमी लायी जा सकती है. सुरक्षित मातृत्व सुनिश्चित करने में चार स्तंभों की मुख्य भूमिका मानी जाती है. जिसमें प्रसवपूर्व जाँच, सुरक्षित प्रसव एवं प्रसव उपरांत देखभाल के अलावा गर्भनिरोधक साधन भी एक प्रमुख स्तंभ है.

44 प्रतिशत तक मातृ मृत्यु दर में कमी संभव :
लैंसेट की एक रिपोर्ट के अनुसार गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल से मातृ मृत्यु दर में 44 प्रतिशत तक कमी लायी जा सकती है. वहीं डिपार्टमेंट ऑफ़ पापुलेशन, फैमिली एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ ऑफ़ पब्लिक हेल्थ जॉन होपकिंस यूनिवर्सिटी की एक रिपोर्ट के अनुसार प्रत्येक वर्ष कुल मातृ मृत्यु दर में 13 प्रतिशत असुरक्षित गर्भपात की भी भूमिका होती है. 19 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में गर्भधारण को पूरी तरह रोकने से मातृ मृत्यु दर में 34 प्रतिशत तक की कमी लायी जा सकती है. साथ ही गर्भनिरोधक के इस्तेमाल से प्रति वर्ष लगभग 23 करोड़ नए जन्मों में कमी भी आती है.

कुल प्रजनन दर 3.2 से 2.1 करने का लक्ष्य:
सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार अभी बिहार की कुल प्रजनन दर 3.2 है. मिशन विकास परिवार के तहत वर्ष 2025 तक बिहार के प्रजनन दर को 2.1 तक लाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. जिसमें नवीन गर्भनिरोधक साधन अंतरा एवं छाया, सारथी वैन से परिवार नियोजन पर जागरूकता, नवदंपति के लिए नयी पहेली किट एवं सामुदायिक जागरूकता के लिए सास-बहू सम्मेलन जैसी नवीन गतिविधियों को शामिल किया गया है.

अनमेट नीड में कमी जरुरी:
दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है. परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता, सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना,परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध, साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियाँ ,परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएँ एवं मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी अनमेट नीड’ के कारण होते हैं.

पखवाड़े में दिया जा रहा ध्यान:
जिला सिविल सर्जन डॉ मधुसूदन प्रसाद ने बताया कि 21 नवम्बर से 4 दिसम्बर तक जिला में पुरुष नसबंदी पखवाड़ा के दौरान पुरुष नसबंदी पर विशेष ध्यान दिया जा रह है. विभिन्न आयोजनों के माध्यम से गर्भनिरोधक साधनों की भी जानकारी दी जा रही है.

इसलिए गर्भनिरोधक है जरुरी:
 मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी
 प्रजनन संबंधित स्वास्थ्य जटिलताओं से बचाव
 अनचाहे गर्भ से मुक्ति
 एचआईवी-एड्स संक्रमण से बचाव
 किशोरावस्था गर्भधारण में कमी
 जनसंख्या स्थिरीकरण में सहायक

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