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रूबी के कमजोर नवजात को मिला नया जीवनदान, एएनएम बनी रक्षक

एसएनसीयू में 8 दिनों तक चला ईलाज

• 2 किलोग्राम से वजन बढ़कर हुआ 4.5 किलोग्राम
• जन्म के ही समय गुरुदेव को थी स्वास्थ्य जतिलाताएं
• केयर इंडिया के अधिकारी ने भी किया सहयोग

पूर्णियाँ, 17 दिसम्बर

जिला के केनगर प्रखंड के डैनी गाँव निवासी रूबी देवी के नवजात पुत्र गुरुदेव कुमार को नया जीवनदान मिला है. 5 बेटियों के जन्म के बाद रूबी देवी को पहला बेटा हुआ था. गर्भावस्था के 37 वें सप्ताह में ही जन्म होने के कारण जन्म के समय से ही गुरुदेव को स्वास्थ्य जटिलताएं शुरू हो गयी थी. ऐसी गंभीर स्थिति में एएनएम सरिता की सूझबूझ व लंबे अनुभव के कारण ना सिर्फ गुरुदेव की जान बची बल्कि रूबी की भी जान बचायी जा सकी. साथ ही जन्म के समय 2 किलोग्राम वजन होने के कारण गुरुदेव को जिला के सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट में भर्ती कराया गया. आज इसी नवजात का वजन 2 किलोग्राम से बढ़कर 4.5 किलोग्राम से भी अधिक हो गया है. इससे रूबी के साथ उस इलाके के अन्य लोगों का सरकारी अस्पताल एवं सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था पर भरोसा बढ़ गया है.

समय से पूर्व प्रसव माँ एवं नवजात दोनों के लिए ख़तरा : केनगर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की एएनएम सरिता कुमारी ने बताया 37 सप्ताह से पहले जन्म लेने वाले शिशुओं को अपरिपक्व जन्म में शामिल किया जाता है. प्रसव के समय रूबी देवी का भी 37 वां सप्ताह ही चल रहा था, जो जटिलता पूर्ण प्रसव की पहचान थी. रूबी को प्रसव पीड़ा के दौरान ही अस्पताल में भर्ती कराया गया. प्रसव के दौरान बच्चे की सिर की जगह बच्चे का पैर बाहर आने लगा. सामान्य तौर पर पहले बच्चे का सिर बाहर आता है. इससे बच्चे की जटिलता बढ़ने का ख़तरा अधिक होता है. इन तमाम जटिलताओं के बाद भी रूबी का सामान्य प्रसव ही कराया गया.

सूझबूझ से बची नवजात की जान: जन्म के समय गुरुदेव का वजन केवल 2 किलोग्राम था, जिसे कम वजन वाले बच्चे की श्रेणी में रखा जाता है. जन्म के बाद बच्चे का पूरा शरीर नीला पड़ रहा था. शरीर में ऑक्सीजन की कमी के कारण वह सांस भी नहीं ले पा रहा था. वह बेजान सा दिख रहा था. रूबी के साथ उनके घर वालों की भी चिंता बढ़ चुकी थी. ऐसी स्थिति के बाद भी एएनएम सरिता कुमारी ने हौसला नहीं छोड़ा. सरिता बच्चे को न्यू बोर्न केयर वार्ड ले गयी एवं वहाँ 30 सेकंड तक अम्बु बैग की सहायता से बाहर से ऑक्सीजन देने की कोशिश की. इससे बच्चे की धडकन चलने लगी. उन्होंने कुछ देर तक ऐसा ही किया. फिर बच्चे को मास्क लगाकर ऑक्सीजन दिया गया. लगभग आधे घंटे की मेहनत के पश्चात बच्चे ने रोना शुरू कर दिया व उसकी जान बच गई.

8 दिनों तक एसएनसीयू में हुआ ईलाज: बच्चे का वजन केवल 2 किलोग्राम था एवं जन्म के समय अन्य स्वास्थ्य जटिलताएं भी थी. इसलिए जन्म के दूसरे दिन यानी 7 नवम्बर को गुरुदेव को सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट में भेज दिया गया. यहाँ उसे 8 दिन विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखभाल प्राप्त हुई. इसके बाद गुरदेव को डिस्चार्ज किया गया.

बच्चे का बढ़ा वजन : अस्पताल से आने के बाद भी आशा व केयर इंडिया के ब्लॉक मेनेजर शुभम श्रीवास्तव एक माह तक नियमित तौर से बच्चे के घर का दौरा करते रहे. साथ ही बच्चे को नियमित स्तनपान एवं कंगारू मदर केयर प्रदान करने पर परामर्श देते रहे. आज गुरुदेव पूरी तरह स्वस्थ है एवं उसका वजन 2 किलोग्राम से बढ़कर 4.7 किलोग्राम हो गया है.
बच्चे की मां रूबी देवी ने बताया उनकी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी थी है कि वह नवजात को किसी प्राइवेट अस्पताल में भर्ती करा पाती. लेकिन सही समय पर आशा, एनएनएम एवं चिकित्सकों की मदद से उनके नवजात की जान बची. उन्होंने बताया वह अब आस-पास के लोगों को भी सरकारी अस्पताल में ईलाज कराने की सलाह देती हैं.

जिला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया कि इस तरह के अनेक केस अन्य अस्पतालों में भी होते हैं, जिसे वहां पर स्थापित चिकित्सा प्रभारी, नर्स व एएनएम अपने स्तर पर दिखती हैं और उनका वहाँ सफल इलाज होता है. स्वास्थ्य विभाग इसके लिए हमेशा से प्रयत्नशील रहा है जिसके प्रभाव से आज स्वास्थ्य व्यवस्था इतनी सुदृढ हुई हैं. हम आगे भी इसके लिए हमेशा प्रयत्नशील हैं. उन्होंने उम्मीद जताई है कि इससे और भी लोग प्रभावित होंगे व स्वास्थ्य केन्द्रों पर उनका विश्वास बढेगा.

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