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रेल के निजीकरण की बात संसद में नहीं सिर्फ अखबारों में : चेयरमैन

चैन्नई, 5 दिसंबर। ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन की मौजूदगी में यह स्पष्ट कर दिया कि यदि भारतीय रेल के निजीकरण की कोशिश की गई तो जान की बाजी लगाकर ट्रेनों को चलाने वाले रेलकर्मचारी खुद ही रेल का चक्का जाम करने को मजबूर हो जाएंगे। यह एआईआरएफ और हमारे लाखों रेलकर्मचारियों का फैसला है। हालाकि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने रेल के निजीकरण को सिर्फ अखबार की सुर्खी बताते हुए कहाकि ऐसा कोई भी निर्णय नहीं हुआ है, खुद रेलमंत्री ये बाद संसद में कह चुके हैं। उधर आईटीएफ के महामंत्री स्टीफेन काँटन ने भी एआईआरएफ को आश्वस्त किया कि निजीकरण की लड़ाई में वो अकेले नहीं है, बल्कि दुनिया आपके साथ खड़ी रहेगी।
एआईआरएफ के अधिवेशन में देश भर से हजारों रेलकर्मचारी इसमें हिस्सा ले रहे हैं। आज दोपहर बाद अधिवेशन के खुलेसत्र में रेलकर्मचारियों के गुस्से को आसानी से पढ़ा जा सकता था, एनपीएस वापस न लिए जाने से युवा रेलकर्मचारी नाराज, 30 – 55 की बात होने से वरिष्ठ रेलकर्मी नाराज, प्रिटिंग प्रेस को बंद किए जाने से यहां के भी कर्मचारी नाराज, रायबरेली कोच फैक्टरी के कर्मचारी निगमीकरण से नाराज, .. सच कहें तो अधिवेशन पांडाल में 80 फीसदी ऐसे कर्मचारी मौजूद थे जो सरकार की दोषपूर्ण नीतियों से नाराज हैं। इसके चलते अधिवेशन स्थल का पूरा माहौल ही तनावपूर्ण था। हालांकि, रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने इस नाराजगी को कम करने की कोशिश जरूर की , पर वे इसमें कामयाब नहीं हो पाये।
खुले सत्र में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट रखने के पहले ही साफ कर दिया कि मै जानता हूं कि यहां जो भी रेलकर्मचारी मौजूद है, सब की अपनी अपनी मुश्किलें है, कोई ऐसा कर्मचारी नहीं है जो पूरी तरह संतुष्ट हो। महामंत्री ने कहाकि जिस रेल को कुशलता पूर्वक चलाने के लिए चार से पांच सौ कर्मचारी हर साल अपनी जान देते हैं, उस रेलकर्मी के साथ जो सलूक हो रहा है , वो शर्मनाक है। महामंत्री ने कहाकि देश के लोग अपने त्यौहार इसलिए मना पाते है,क्योंकि रेलकर्मचारी अपने त्यौहार से समझौता करता है, वो लोगों को एक कोने से दूसरे कोने तक पहुंचाने में लगा रहता है। महामंत्री ने कहाकि ट्रेन के संचालन में साल भर में जितने हमारे रेलकर्मचारी भाई शहीद हो जाते हैं, उतना तो सेना में भी शहीद नहीं होते।
निजीकरण और निगमीकरण के खिलाफ लगातार अधिवेशन स्थल पर नारेबाजी के बीच महामंत्री ने कहाकि आपको घबराने की जरूरत नहीं है, हम सीने पर गोली खाएंगे,लेकिन भारतीय रेल का निजीकरण नहीं होने देंगे। इस अधिवेशन के आखिरी दिन हम कोई संकल्प लेकर चैन्नई से वापस जाएंगे, निजीकरण किसी कीमत पर बर्दास्त नहीं है, इसको रोकने के लिए भले ही हमें रेल का चक्का जाम ही क्यों न करना पड़े। महामंत्री ने कहाकि रेलकर्मचारियों के खिलाफ एक साजिश हो रही है, क्योंकि तेजस ट्रेन का एक सेट रेल मंत्रालय 300 करोड़ रुपये में खरीदना चाहता था, हमारे आरसीएफ ने इसे 90 करोड़ में तैयार कर दिया, ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कौन लोग हमारे पीछे पड़े हैं । जो कोच बाहर से हम साढे पांच करोड़ में खरीदते थे, उससे बेहतर कोच रायबरेली की कोच फैक्टरी ने दो करोड में तैयार कर दिया। इस तरह से एक ग्लोबल लाँबी है जो रेलकर्मचारियों को कमजोर करना चाहती है।
महामंत्री ने कहाकि जो काम हमारे रेलकर्मचारी अच्छी तरह से कर रहे हैं और जिस काम के लिए भारतीय रेल में उनकी तैनाती हुई है, वो काम भी आउटसोर्स किए जा रहे हैं। यही वजह है कि सरकार की नीयत पर शक होता है। एक ओर प्रधानमंत्री कहते हैं कि उनसे बेहतर रेल को कोई नहीं समझ सकता, लेकिन जब फैसले की बारी आती है तो हमेशा रेल और रेलकर्मचारियों के खिलाफ ही बात होती है। महामंत्री ने साफ कर दिया कि प्रधानमंत्री और रेलमंत्री निजीकरण और निगमीकरण की बात को छोड़ रेल की तरक्की में लगें, अगर रेल के निजीकरण की कोशिश हुई तो रेल का चक्का जाम होना तय है। आज भारतीय रेल की सच्चाई ये है कि रेलकर्मचारी तो जान देकर ट्रेन चलाते है, फिर भी सरकार निजीकरण की बात कर रेल का चक्का जाम करने के लिए उकसा रही है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनोद यादव ने कहाकि रेलमंत्रालय और रेलकर्मचारियों के बीच झूठी खबरें दूरी पैदा कर रही हैं, उन्होने कहाकि अखबारों में रेल से जुड़ी कई ऐसी खबरें छपती हैं, जिसकी जानकारी रेलवे बोर्ड का चेयरमैन होने के बाद भी मुझे नहीं होती है। उन्होंने अखबारों की विश्वसनीयता पर भी चोट किया। श्री यादव ने कहाकि रेलमंत्री कई बार संसद में साफ कर चुके हैं कि रेल का निजीकरण और निगमीकरण नहीं होगा, सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है, इसके बाद भी रेलकर्मचारी अखबारों की खबरों पर भरोसा कर बेवजह तनाव में हैं। चेयरमैन ने कर्मचारियों को समझाने की कोशिश की और कहाकि भारतीय रेल में सबकुछ ठीकठाक है।
चेयरमैन ने कहाकि रेल महकमा एक संगठन नहीं बल्कि एक परिवार है ,उन्होने कहाकि सेना के बाद रेल कर्मचारी ही ऐसे है जो 24 घंटे काम करते हैं। त्यौहारों के दौरान जब सभी महकमों छुट्टी मिलती है, तब हम स्पेशल ट्रेन चलाते हैं, ताकि लोगों को उनके घर तक पहुंचाया जा सके, इतना ही नहीं अपने रेल कर्मचारियों की छुट्टी तक कैंसिल कर देते है , जिससे ट्रेनों के संचालन में कोई दिक्कत न हो। निजीकरण और निगमीकरण पर सफाई देते हुए उन्होने कहाकि हम रोजाना 20 हजार ट्रेनों का संचालन करते हैं, इसमें गिनती की चार पांच ट्रेनों का आपरेशन प्राईवेट लोगों को दिया गया है, वो भी रेल की कामर्शियल जरूरतों को पूरा करने के लिए, इससे घबराने की जरूरत नहीं है। चेयरमैन ने कहाकि सच ये है कि पिछले दो तीन वर्षों में रेल की सूरत बदली है, हमने साफ सफाई और ट्रेनों की संरक्षा और सुरक्षा के साथ ट्रेन के समय पर चलने में काफी सुधार किया है।
इंटरनेशनल ट्रांसपोर्ट फैडरेशन के महामंत्री स्टीफेन काँटन ने कहाकि एआईआरएफ के साथ हमारा लंबा साथ रहा है, हमें इनके काम और इनकी ताकत का पूरा अहसास है। श्री काँटन ने कहाकि भारतीय रेल में अच्छी संख्या में नौजवानों की टीम है जो कुशलतापूर्वक ट्रेनों का संचालन कर रहे हैं। ये नौजवान रेलकर्मचारी भारतीय रेल और एआईआरएफ के भविष्य हैं। हमें इस ताकत को समझना होगा, उन्होने कहाकि इनकी ताकत का संदेश ऊपर तक पहुंचना जरूरी है। इन्हें उन बातों के लिए लड़ना पड़ रहा है जो इनका हक है। श्री काँटन ने कहाकि अगर आप यूथ पावर को समझने से चूक गए तो इसका खामियाजा रेल को भुगतना पड़ सकता है। आईटीएफ महामंत्री ने कहाकि निजीकरण की लड़ाई में एआईआरएफ अकेले नहीं है, बल्कि दुनिया के 126 देशों के मजदूर इस लड़ाई को लड़ने को तैयार बैठे हैं। निजीकरण के खिलाफ अगर रेल कर्मचारी आंदोलित हुए तो आईटीएफ का इस आंदोलन को पूरा समर्थन रहेगा।
रेलवे बोर्ड में मेंबर स्टाफ मनोज पांडेय ने कर्मचारियों को बताने की कोशिश की किस तरह रेल प्रशासन कर्मचारियों की बेहतरी के लिए काम कर रहा है। उन्होने कहाकि वैकेंसी को भरने की कोशिश हो रही है, जिससे कर्मचारियों पर से काम के दबाव को काम किया जा सके। एआईआरएफ के कार्यकारी अध्यक्ष एन कन्हैया ने सभी आगंतुकों का स्वागत करते हुए कहाकि यहां मौजूद रेलकर्मचारियों के मन में क्या है, वो अच्छी तरह समझ रहे हैं। इस मामले में हम बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रहे हैं।
अधिवेशन के खुले सत्र में ग्लोबल यूथ आफीसर बेकर खंडूकजी, इनलैंड ट्रांसपोर्ट सचिव नोएल कार्ड, रिजनल हेड भुज, संगम त्रिपाठी , जोनल महामंत्री के एस गुप्ता, जे आर भोसले, शंकरराव, ए एम डिक्रूज, वेणु पी नायर, मुकेश माथुर, मुकेश गालव, एसएन पी श्रीवास्तव, मनोज बेहरा, आर डी यादव, पी के पाटसानी के साथ ही जोनल अध्यक्ष राजा श्री धर,आर सी शर्मा, बसंत चतुर्वेदी, एस के त्यागी, पी जे शिंदे, के श्रीनिवास, दामोदर राव के अलावा महिला नेत्री चंपा वर्मा, प्रवीना सिंह, जया अग्रवाल, प्रीति सिंह समेत तमाम लोग मौजूद थे।
अधिवेशन से पहले एक रैली का आयोजन किया गया, इस रैली में सभी जोन के रेलकर्मचारियों ने काफी उत्साह के साथ हिस्सा लिया। इसमें नेशनल रेलवे मजदूर यूनियन और सदर्न रेलवे के साथ ही दूसरी यूनियनों ने भी काफी बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।

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