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‘अनमेट नीड’ परिवार नियोजन में बाधक,

जागरूकता से सुधार संभव

एएनएम एवं आशा का योगदान महत्वपूर्ण

सामूहिक सहभागिता से बदलेगी तस्वीर

लखीसराय, 17 फरवरी: बेहतर प्रजनन स्वास्थ्य एवं जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए परिवार नियोजन साधनों की उपयोगिता महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसको लेकर सरकार द्वारा विभिन्न कार्यक्रम भी चलाये जा रहे हैं। लेकिन सरकारी प्रयासों के इतर परिवार नियोजन कार्यक्रमों की सफलता के लिए सामुदायिक सहभागिता भी बेहद जरूरी है। दो बच्चों में अंतराल एवं शादी के बाद पहले बच्चे के जन्म में अंतराल रखने की सोच के बाद भी महिलाएं परिवार नियोजन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती है। इससे ही ‘अनमेट नीड’ में वृद्धि होती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विकासशील देशों में 21 करोड़ से अधिक महिलाएं अनचाहे गर्भ से छुटकारा पाना चाहती हैं लेकिन तब भी उनके द्वारा किसी गर्भनिरोधक साधन का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके पीछे आम लोगों में परिवार नियोजन साधनों के प्रति जागरूकता का आभाव प्रदर्शित होता है।

प्रजनन दर वाले राज्यों में बिहार शीर्ष पर:

बिहार सर्वाधिक कुल प्रजनन दर वाले राज्यों की सूची में सबसे आगे है। सैंपल रेजिस्ट्रेसन सर्वे-2016 के आंकड़ो के अनुसार बिहार की कुल प्रजनन दर 3.3 है। जिसका अर्थ है बिहार में प्रति महिला बच्चों की संख्या 3.3 है। वहीं देश की कुल प्रजनन दर 2.2 है। इसे ध्यान में रखते हुए राज्य में परिवार नियोजन कार्यक्रम को विशेष प्रोत्साहित करने के लिए मिशन विकास परिवार की शुरुआत भी की गयी है। इसके तहत गर्भनिरोधक साधनों के प्रति आम लोगों को जागरूक करने पर बल दिया गया है। इसके लिए आशा एवं एएनएम को प्रत्साहित करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि का भी प्रावधान किया गया है। पहले जहाँ महिला एवं पुरुष नसबंदी के लिए उत्प्रेरक को 300 रुपए दिये जाते थे, अब प्रोत्साहन राशि बढ़ाकर प्रति महिला नसबंदी 400 रुपया दिया जा रहा है।

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के अनुसार जिले में अनमेट नीड का प्रतिशत 21.9 है, यानी 100 में से लगभग 22 महिलाएं परिवार नियोजन के साधनों पर जानकारी लेकर इस्तेमाल करना चाहती हैं लेकिन उन्हें इसके संबंध में जानकारी नहीं मिल पाती है. वहीं जिले में 9.9 प्रतिशत ऐसी महिलाएं भी हैं जो बच्चों के जन्म में अंतराल चाहती हैं लेकिन उन्हें अस्थाई गर्भनिरोधक साधनों के इस्तेमाल के बारे में जानकारी नहीं है. और इस वजह से वे उन साधनों का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं.

सामूहिक सहभागिता जरूरी:

जिला सिविल सर्जन डॉ सुरेश शरण ने बताया अनमेट नीड परिवार नियोजन में काफी बाधक है। इसके लिए जिला स्तर से लेकर सामुदायिक स्तर तक परिवार नियोजन साधनों की उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए सामूहिक सहभागिता की जरूरत है। इस काम में अन्य सहयोगी संस्थाओं द्वारा भी सहयोग किया जा रहा है। इससे शीघ्र ही अनमेट नीड में कमी देखने को मिलेगी।

ये हैं अनमेट नीड के कारण:

• परिवार नियोजन के प्रति पुरुषों की उदासीनता
• सटीक गर्भनिरोधक साधनों की जानकारी नहीं होना
• परिवार के सदस्यों या अन्य नजदीकी लोगों द्वारा गर्भनिरोधक का विरोध
• साधनों के साइड इफैक्ट को लेकर भ्रांतियाँ
• परिवार नियोजन के प्रति सामाजिक एवं पारिवारिक प्रथाएँ
• मांग के अनुरूप साधनों की आपूर्ति में कमी

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