जमालपुर। पुलवामा हमले में शहीद जवानों की चौथी बरसी पर बड़ी दरियापुर स्थित पंचमुखी बजरंगबली मंदिर के निकट दो दिवसीय संतमत सत्संग का भव्य आयोजन संपन्न हुआ।
इस दौरान मौन साधना, सत्संग, प्रवचन, भजन, आरती गान, भंडारा इत्यादि का आध्यात्मिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। प्रवचन के कार्यक्रम में पूज्यपाद स्वामी रुदल जी महाराज, ज्ञान शिखर बाबा, दिनेशानंद बाबा, संतोष बाबा, संयोजक शिव शंकर प्रसाद ने आध्यात्मिक प्रवचन किए।
जो देश के लिए शहीद हुए थे, वे देश के महान सपूत थे
प्रवचन के कार्यक्रम में मुख्य प्रवचनकर्ता पूज्यपाद स्वामी रुदल जी महाराज ने पुलवामा में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि जो देश के लिए शहीद हुए थे, वे देश के महान सपूत थे। उनके सम्मान में जितना कहा जाए, कम ही होगा।
संतों एवं परमात्मा में अंतर नहीं होता
आज बड़े संतोष की बात है कि हम सत्संगियों द्वारा उनकी श्रद्धांजलि में दो दिवसीय संतमत सत्संग किया जा रहा है। संतमत सत्संग में ध्यान-साधना की प्रधानता है। जो सत्संग-भजन में लगे रहते हैं, उन्हें पुनः मनुष्य शरीर मिलता है। संतों की कोई जाति नहीं होती है। संतों एवं परमात्मा में अंतर नहीं होता। आत्मा का ज्ञान होने पर ही परमात्मा का ज्ञान संभव है। इस संसार रूपी रात में जोगी जागते हैं। एकाग्रता को ही ध्यान साधना कहते हैं। जिन्होंने अपने को जान लिया, वह परमात्मा को भी जान लेता है।
मौके पर स्वामी रुदल बाबा, स्वामी ज्ञान शिखर बाबा, स्वामी दिनेशानंद बाबा, स्वामी संतोष बाबा, जागो बाबा, शिव शंकर प्रसाद, कन्हैयालाल चौरसिया, सुरेंद्र प्रसाद, राजन कुमार चौरसिया, रामसागर महतो, शंकर राम, रामचंद्र मंडल, अभिमन्यु साह, प्रमोद यादव, चंद्रशेखर मंडल, मदनलाल मंडल, कैलाश तांती, उपेंद्र मंडल, देवन साव, अनिल कुमार उर्फ पप्पू जी, मनोज तांती सहित सैकड़ों सत्संगी मौजूद थे।
भजन के कार्यक्रम में स्वामी रुदल बाबा ने भजन के बोल “सद्गुरु काटो ना हो विपतिया गुनवा नहीं है विशरवे हो” गाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध किया। तबले पर संगत नाल वादक शिव शंकर प्रसाद कर रहे थे।