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सियासत के खेल मेंं जमालपुर कारखाना बना निजी ठेकेदारों का बसेरा

लोकल मजदूरों को निज ठेकेदार नहीं देते काम। जनप्रतिनिधियों को कोसते दैनिक मजदूर

जमालपुर मुंगेर। (एसबीएन मुंगेर डेस्क संवाददाता गंगा रजक की रिपोर्ट)। 80 के दशक में मुंगेर प्रमंडल का पूरा क्षेत्र अंतर्गत संसदीय क्षेत्र का युवा मजदूर रोजगार के मामले में संपन्न था। और इन दिनों जुड़वां शहर मुंगेर-जमालपुर उधोग-धंधा कारखाना में कार्य कर जीवन सुखद था। और जब कारखाना का 4:00 बजे का सायरन की आवाज सुनते ही शहर की बाजार सज जाती थी। और कर्मियों का हुजूम भारत माता चौक से जुबली बेल चौक तथा किला क्षेत्र बंदूक फैक्ट्री, आईटीसी मुंगेर से लेकर राजीव गांधी बस स्टैंड तक सड़कों पर भीड़ उमड़ पड़ता था। उन दिनों शहर की जनसंख्या बेमुश्किल लाखों में थी। वाबजूद 22 हजार मजदूर कारखाना में कार्यरत थे। और शहर के लोग समृद्ध थे।बेरोजगारी नहीं था लोग खुशहाल थे। मगर स्वतंत्र भारत के किसी सांसद व जनप्रतिनिधियों के रुचि से महरुम बना रहा जमालपुर कारखाना।और आज युवाओं की बेरोजगारी से आमजन नेताओं से ठगा सा महसूस करता हैं। इतना ही नहीं मुंगेर सांसदीय सीट राजनीतिक संपन्नताओं से धनी था। किन्तु विगत वर्षों में रेल कारखाना के विभिन्न शॉप में उच्च वर्ग के हाथों निजी संवेदकों का कठपुतली बन सा गया है। जहां मजदूरों को निजी ठेकेदार बिना उचित संसाधन व कम पैसों में खटाते हैं। वहीं कुछ ऐसे भी सिरफिरा ठेकेदार है जो स्थानीय लोगों को काम देना पसंद नहीं करते और अन्य प्रांतों से कम पैसों पर मजदूर लाकर कार्य को अंजाम देते हैं। तथा स्थानीय मजदूर ऐसे निज संवेदक के समक्ष काम देने को लेकर गिर गिराते देखे जाते हैं।

इस बार राजनीतिक किस ओर करवट बदलेगी ?

राजनीति की विसात अक्सर यहां करवटें बदलती रही है। एक समय था जब कांग्रेसियों की तूती व वर्चस्व रहा करता था। लेकिन 1989 के बाद से कांग्रेसियों की जमीन खिसकती चली गयी। कांग्रेस, सीपीआई, जनता दल, राजद, जदयू, लोजपा पार्टी ने अपनी जीत दर्ज कर चुकी है। हालांकि, भाजपा ने कभी अपनी सीधी दावेदारी नहीं की हैं। लेकिन एनडीए के घटक दल में लोजपा के वर्तमान सांसद वीणा देवी हैं। जानकार बताते हैं कि मुंगेर लोस सीट का जातिगत समीकरण बताता है कि मुंगेर सवर्ण बहुल क्षेत्र हैं। और क्रमशः भूमिहार, कुर्मी, यादव, दलित महादलित, अलपसंख्यक हैं।

2009 की जीत को दोहराना चाहते हैं ललन सिंह

सन् 1952 में कॉग्रेस के प्रथम लोकसभा सांसद मथुरा प्रसाद मिश्रा हुए। और लगातार 1952 से 1962 तक सीट कांग्रेस के मथुरा प्रसाद मिश्रा, बनारसी प्रसाद सिंह, नयनतारा दास थे। वहीं मधु लिमये ने दो बार 1964-67 में संसदीय सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके है। जबकि 1971 में चुनावी पासा पलटा और मधु लिमये के जगह डीपी यादव कांग्रेस से विजई हुए। परंतु 1977 में या सीट की शक्कर फिर कांग्रेस के हाथ से बाहर हो गई और राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री नरेंद्र सिंह के पिता श्री कृष्णा सिंह यहां से सांसद चुने गए। और इस तरह कांग्रेस ने खोई हुई प्रतिष्ठा पुनः वापस कर ली। और 1980 में पुनः डीपी यादव सांसद चुने गए। उनका कार्यकाल 1984 तक रहा। इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़े धनराज सिंह को सफलता मिली वर्ष 1991 से 96 तक यहां के सांसद ब्रह्मानंद मंडल सीपीआई से सांसद चुने गए लेकिन दूसरी दफा वह समता पार्टी के प्रत्याशी बने। वर्तमान मुंगेर राजद विधायक विजय कुमार विजय ने भी 1998 में राजद के टिकट से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर सांसद बने। 1999 में ब्रह्ममानंद मंडल सांसद चुने गए 2004 में बांका के वर्तमान राजद सांसद जयप्रकाश नारायण यादव यहां से चुनाव लड़े और विजय हुए लेकिन 2009 में जदयू से राज्य के वर्तमान जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन उर्फ ललन सिंह को टिकट मिला और राजद के रामबदन राय को हरा कर जीत दर्ज की।

2014 में वीणा से हारे ललन, अब नीलम दे रही टक्कर

इसके बाद 2014 के चुनाव में यह सीट एनडीए गठबंधन लोजपा के खाते में चली गयी। और पहली दफा महिला नेत्री वीणा देवी का विरोधी जदयू प्रत्याशी ललन सिंह को परासत कर सांसद चुनी गयी। माना जाता हैं कि एक महिला द्वारा चुनाव में मिले हार मंत्री ललन सिंह को नागबार गुजरा। और कद्दावर नेता होने के कारण बिहार सरकार में मंत्री बने। चूकिं अब 2019 में एनडीए में जदयू प्रमुख घटक हैं। और लोजपा तो हैं ही। और बदलते राजनीतिक परिदृश्य में लोजपा जदयू भाजपा एक साथ आकर प्रत्याशी को जीत दिलाने में जुटे हुए हैं। वहीं दूसरी ओर बाहुबली मोकामा विधायक अनंत सिंह की पत्नी महागठबंधन के कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनावी दंगल में कूद गई है। माना जाता हैं कि यूँ तो मुंगेर लोस सीट पर महीनों पूर्व ललन सिंह एवं अनंत सिंह चुनाव लड़ने का मन बना लिये थें। मगर राजद प्रतिपक्ष के नेता तेजस्वी यादव द्वारा अनंत सिंह को बेड एलिमेंट कह विरोध जताने के कारण अनंत सिंह की पत्नी नीलम देवी कांग्रेस की टिकट पाने में सफल रही। लोगों में चर्चा आम है कि ललन सिंह को चूकिं मुंगेर सीट से महिला प्रत्याशी से शिकस्त मिल चुकी हैं। और पुनः दूसरी बार फिर प्रबल विरोधी के रूप में कांग्रेस प्रत्याशी नीलम देवी खड़ी है जिसका डोर सारथी अनंत सिंह के हाथ में है।

आक्रोश में हैं प्रशिक्षित युवा करेंगे वोट का बहिष्कार।

ऐसे में अब आमजनता के हाथों फैसला जनप्रतिनिधियों का हिसाब पूछना लाजिमी हैं। शिक्षित बेरोजगार युवाओं में आक्रोश जनप्रतिनिधियों के प्रति इस कद्दर व्याप्त हैं कि ट्रेड अप्रेंटिस युवा आसन्न लोकसभा चुनाव में अपने अपने घरों पर रोजगार नहीं तो वोट नहीं का होर्डिंग चिपकाकर जनप्रतिनिधियों का विरोध जताने की बात प्रकाश में आ रहा है। अप्रेंटिस युवा नेता चन्दन पासवान कहते हैं कि कई प्रशिक्षित साथियों ने आर्थिक तंगी व बेबसी कारण कई अप्रेंटिस कर बैठे साथी आत्महत्या कर अपनी लीला समाप्त कर ली है । इसके बावजूद भी स्थानीय जनप्रतिनिधि के कान में जूं तक नहीं रेंगा। जबकि कई बार पत्राचार किए गए। अब इस चुनावी समर में क्षेत्र का शिक्षित बेरोजगार युवा परिवर्तन का मूड बना चुकेंं हैंं।

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