जमालपुर। शहर का ह्रदय स्थली माना जाने वाला जुबली वेल चौराहा पर स्थित ऐतिहासिक जुबली कुआं को सौंदर्यीकरण की भेंट चढ़ाने की कवायद चल रही है।
आजादी से पहले अंग्रेजों द्वारा निर्मित जुबली कुआं जो पूरे जमालपुर शहर की प्यास बुझाता था, इतिहास के गर्भ में समाने की स्थिति में है। आज भी रोजाना हजारों लोग इसी कुएं के पानी से अपनी प्यास बुझाते है।
जुबली वेल चौराहा के चारों ओर स्थित चाय, पान, नाश्ता व मिठाई, फास्ट फूड, सत्तू, झालमुढ़ी आदि बेचने वाले छोटे दुकानदार इसी कुआं का पानी दुकान में इस्तेमाल करते और अपने ग्राहकों को पिलाए करते थे।
इतना ही नहीं, मुंगेर, लखीसराय, बरियारपुर, धरहरा, अभयपुर के आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से जमालपुर में दूध का व्यापार करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए यह कुआं उनके गागर के लिए सागर था।
कहा जाता है कि इस कुएं का पानी इतनी मिठास व तासीर है कि दूध के व्यापारी अपने दूध में एक चौथाई तक पानी मिला देते थे तो ग्राहकों को पता तक नहीं चलता था। भीषण गर्मी में भी इस कुएं का पानी कभी कम नहीं होता था।
सरकार के जल संरक्षण की उड़ाई जा रही धज्जियां
एक ओर जहां सरकार जल संरक्षण के तहत भूमि के नीचे पानी का स्रोत बरकरार रखने के लिए कुएं, तालाब तथा घर के आंगन व द्वार पर सोख्ता बनाने की दिशा में कदम उठा रही है। वहीं, सौंदर्यीकरण के नाम पर जुबली कुआं को बंद करने की साजिश सरकार के जल संरक्षण के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है।
क्या है आम जनता की राय
युवा रालोसपा प्रदेश उपाध्यक्ष मुनीलाल मंडल, कांग्रेस जिला उपाध्यक्ष मो नुरुल्लाह, इंद्रदेव मंडल, प्रो देवराज सुमन, ब्रह्मदेव चौरसिया सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने इसे जमालपुर की जनता के साथ विश्वासघात करार दिया है। जुबली कुआं जमालपुर वासियों की धरोहर है। सौंदर्यीकरण के नाम पर इसके अस्तित्व के साथ छेड़छाड़ कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।