होली से ठीक पहले बिहार की राजनीति में एक बार फिर नया भूचाल आ गया है। बिहार की राजनीति आए दिन नए करवटें लेती नजर आती है। बिहार की राजनीति में ऊंट किस करवट बैठेगा इसका अंदाजा लगा पाना बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के भी बस की बात नहीं है ऐसे में बिहार की वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य इस ओर इशारा करती है कि होली के मौके पर बिहार में किसी भी वक्त बड़ा खेला हो सकता है।
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बिहार के राजनीतिक धुरंधरों में अपना एक अहम स्थान रखने वाले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री सह राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बाद यदि किसी का नाम आता है तो वह है बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। बड़े भाई और छोटे भाई की यह जोड़ी पिछले करीब 30 वर्षों से भी अधिक लंबे समय से बिहार की सत्ता पर काबिज हैं। बिहार की सत्ता में इस बार चाचा और भतीजे की जो नई जोड़ी बनी है, वह कितनी मजबूत है या तो वक्त ही बताएगा लेकिन बिहार की वर्तमान विपक्ष इस चाचा भतीजे की जोड़ी को तोड़ने में अपनी पूरी ताकत झोंक चुकी है।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की राजनीति को अपने राजनीतिक दांवपेच के दम पर भारतीय जनता पार्टी अपनी ओर मोड़ने की जुगत में है। इसी कड़ी में भारतीय जनता पार्टी की ओर से चले गए राजनीतिक शतरंज की चाल में फिलहाल जदयू के एक बड़े प्यादे का शिकार करने में काफी हद तक सफल रही है। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह और उपेंद्र कुशवाहा के बाद जनता दल यूनाइटेड के कई अहम नेताओं को भी नीतीश कुमार से अलग करने को लेकर जो चाल भारतीय जनता पार्टी की ओर से चली जा रही है उसका परिणाम होली से पहले देखने को मिल सकता है।
भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि होली से पहले जनता दल यूनाइटेड और राष्ट्रीय जनता दल के मजबूत महागठबंधन के किले को ध्वस्त कर उसमें अपने नेतृत्व का झंडा गाड़ दिया जाए। अब देखना है कि भारतीय जनता पार्टी अपने मंसूबों में किस हद तक सफल होती है।