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देश के मातृ मृत्यु अनुपात में 1 वर्ष में आई 6.2% की कमी


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• देश के 2419 स्वास्थ्य केन्द्रों के लेबर रूम एवं ऑपरेशन का आधारभूत आकलन हुआ संपन्न
• मिडवाइफरी सर्विसेज इनिशिएटिव ने दक्ष नर्सों का किया कैडर तैयार
• 3.53 करोड़ किशोरियों को सप्ताह में मिल रही आयरन की गोली
• दक्षता कार्यक्रम के तहत 16,400 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को किया गया प्रशिक्षित

मुंगेर। 2 मार्च: स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बेहतर क्रियान्वयन से देश की स्वास्थ्य स्थिति में बदलाव दिखने लगे हैं. गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा प्रदायगी एवं स्वास्थ्य कर्मियों की दक्षता ने इस तस्वीर को बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इसका नतीजा है कि 1 साल में देश के मातृ मृत्यु अनुपात में 6.2% प्रतिशत की कमी दर्ज हुयी है. यह कमी इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है कि इसका अर्थ सालाना लगभग 2000 अतिरिक्त गर्भवती महिलाओं की जान बचना है। वर्ष 2014-16 में 130 प्रति लाख जीवित जन्म से घटकर 2015-17 में देश की मातृ मृत्यु अनुपात 122 प्रति लाख जीवित जन्म हो गयी. यह कमी 6.2% की है, जो सरकार द्वारा चलाये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की सफलता को प्रदर्शित करता है. इसको लेकर परिवार कल्याण मंत्रालय ने महत्वपूर्ण स्वास्थ्य कार्यक्रमों की स्थिति को दर्शाते हुए प्रेस नोट जारी किया है.

एमसीएच विंग्स में 42000 से अधिक अतिरिक्त बिस्तरों की मिली स्वीकृति:

सुरक्षित मातृत्व के लिए अस्पतालों में प्रसूति महिलाओं के लिए बेहतर संसाधन की उपलब्धता जरुरी मानी जाती है. इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा जिला अस्पतालों / जिला महिला अस्पतालों और ज्यादा मरीजों वाले उप-जिला स्वास्थ्य केंद्रों में भी अत्याधुनिक मातृत्व और बाल स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग) के लिए स्वीकृति दी गई है. ये गुणवत्तापूर्ण प्रसूति और नवजात शिशु देखभाल के एकीकृत केंद्र होंगे। 650 मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य विंग (एमसीएच विंग्स) के साथ 42000 से अधिक अतिरिक्त बिस्तरों के लिए स्वीकृति दी गई है.

दक्षता कार्यक्रम के तहत 16400 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को मिला प्रशिक्षण:

भारत सरकार ने 2015 में ‘दक्षता’ नामक राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किया। यह स्वास्थ्य कर्मियों के कौशल के निर्माण के लिए एक रणनीतिक 3-दिवसीय प्रशिक्षण कैप्सूल है, जिसमें डॉक्टर, स्टाफ नर्स और एएनएम शामिल हैं, जिन्हें गुणवत्तापूर्ण देखभाल के लिए प्रशिक्षण प्रदान किया गया है. राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार अब तक 16400 स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को दक्ष प्रशिक्षणों में प्रशिक्षित किया गया है.

लक्ष्य कार्यक्रम के तहत 2419 स्वास्थ्य केन्द्रों के लेबर रूम एवं ऑपरेशन का हुआ आधारभूत आकलन:

लेबर रूम एवं ऑपरेशन थिएटर की गुणवत्ता मातृ मृत्यु अनुपात में कमी लाने में महत्वपूर्ण मानी जाती है. स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटरों में स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए दिसंबर 2017 में लक्ष्य’ प्रोग्राम (लेबर रूम क्वालिटी इंप्रूवमेंट इनिशिएटिव) कार्यक्रम प्रोग्राम की शुरुआत की. इससे रोकथाम योग्य मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर, बीमारी का खतरा और निर्जीव शिशु के जन्म की समस्या कम होगी जिसका संबंध लेबर रूम और मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर (ओटी) के उपचार से होता है। इससे सम्मानजनक मातृत्व स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित होगी।

आंकड़ों पर एक नजर:

• लक्ष्य कार्यक्रम के तहत देश के 193 मेडिकल कॉलेजों के साथ कुल 2444 स्वास्थ्य केंद्र चुने गए
• सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार इस दिशा में उन्मुख हो गई हैं. 2419 स्वास्थ्य केंद्रों (99 प्रतिशत) में आधारभूत आकलन का काम भी पूरा हो गया है
• अब तक 506 लेबर रूम और 449 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर संबद्ध राज्य से प्रमाणित हो गए हैं. राष्ट्र स्तर पर भी 188 लेबर रूम और 160 मैटरनिटी ऑपरेशन थिएटर ‘लक्ष्य’ प्रमाणित किये गए हैं

मिडवाइफरी सर्विसेज इनिशिएटिव ने किया दक्ष नर्सों का कैडर तैयार:

गर्भवती महिला और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा की गुणवत्ता बढ़ाने और उनकी सम्मानजनक देखभाल सुनिश्चित करने के लिए भारत सरकार ने एक ऐतिहासिक और अभूतपूर्व नीतिगत निर्णय लेते हुए देश में मिडवाइफरी सेवाओं की शुरुआत की है. इस पहल का शुभारंभ दिसंबर 2018 में नई दिल्ली में पार्टनर्स फोरम के आयोजन में किया गया. ‘मिडवाइफरी सर्विसेज इनिशिएटिव’ का लक्ष्य मिडवाइफरी का काम करने में दक्ष नर्सों का कैडर तैयार करना है जिन्हें इंटरनेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ मिडवाइव्स (आईसीएम) के निर्धारित दक्षता मानकों पर कार्य कुशल बनाया जाएगा. उन्हें लाभार्थी महिलाओं को केंद्र में रखते हुए सहानुभूति के साथ प्रजनन, मातृ और नवजात शिशु स्वास्थ्य सेवा देने का ज्ञान दिया जाता है.

जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) के तहत बेहतर सुविधा:

इस पहल के तहत सरकारी स्वास्थ्य संस्थानों में सभी गर्भवती महिलाओं के लिए प्रसव निःशुल्क है और अन्य खर्चे भी नहीं करने होंगे. यहां तक कि आपरेशन (सीजेरियेन) से शिशु को जन्म देना भी निःशुल्क है. उन्हें मुफ्त दवाएं, उपयोग हो जाने वाली वस्तुएं, भर्ती रहने के दौरान मुफ्त आहार, मुफ्त जांच और यदि जरूरत हो तो मुफ्त खून चढ़ाने की सुविधा भी दी जाएगी। इस पहल के तहत घर से अस्पताल आने, यदि रेफरल अस्पताल भेजा गया तो उसका परिवहन खर्च और वापस घर पहुँचने का परिवहन खर्च भी दिया जाता है. इस स्कीम का विस्तार कर प्रसव के दौरान और प्रसव के बाद की स्वास्थ्य समस्याओं और 1 वर्ष की उम्र तक के शिशुओं के उपचार का प्रावधान किया गया है.

राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम से किशोर स्वास्थ्य पर नजर:

यह कार्यक्रम किशोर एवं किशोरियों के बेहतर स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए सभी राज्यों में चलाया जा रहा है.

अप्रैल-दिसम्बर 2019 तक ये हैं उपब्धियाँ:

• 3.43 करोड़ किशोरियों को सैनेटरी नैपकिन प्रदान किए गए
• 3.53 करोड़ किशोरों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य शिक्षा कार्यक्रम के अतिरिक्त साप्ताहिक आयरन फोलिक एसिड सप्लीमेंट (डब्ल्यूआईएफएस) कार्यक्रम के तहत हर सप्ताह आईएएफ सप्लीमेंट प्रदान किए गए
• 52.15 लाख किशोरों को किशोर मित्र स्वास्थ्य क्लीनिक (एएफएचसी) में सलाह और निदान सेवाएं दी गईं. मार्च 2019 में एएफएचसी की संख्या 7470 से बढ़कर सितंबर 2019 में 7947 हो गई
• अप्रैल-दिसंबर 2019 की अवधि में पीयर एजुकेटर्स प्रोग्राम लागू करने में उल्लेखनीय प्रगति हुई. इस अवधि में 91,290 पीयर एडुकेटर चुने गए और 38,898 पीयर एजुकेटरों के प्रशिक्षण के साथ चुने गए पीयर एडुकेटरों की कुल 3.45 लाख हो गई.
• 60474 किशोर स्वास्थ्य दिवस (एएचडी) मनाए गए. यह किशोर स्वास्थ्य मुद्दों और उपलब्ध सेवाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए ग्राम स्तर की त्रैमासिक गतिविधि है.

सिविल सर्जन डॉ. पुरुषोत्तम कुमार ने बताया कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जननी सुरक्षा योजना(जेएसवाई) कार्यक्रम की शुरुआत की गयी है. जिसमें ग्रामीण महिलाओं को सरकारी संस्थान में प्रसव कराने पर 1400 रूपये एवं शहरी महिलाओं को 1000 रूपये की प्रोत्साहन राशि देने का प्रावधान किया गया है. इससे देश की संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी हुयी है.

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