पूर्णियाँ : ‘एचआईवी महामारी समाप्त: समुदाय से समुदाय तक’ की थीम पर विश्व एड्स दिवस
1 दिसम्बर को विश्व एड्स दिवस
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• देश में 21 लाख से अधिक लोग एड्स से हैं पीड़ित
• बिहार 1 लाख से अधिक एड्स पीड़ित
• राज्य में 207 आईसीटीएस एवं 16 एआरटी सेंटर
पूर्णियाँ/ 30 नवम्बर:
एचआईवी एक गंभीर बीमारी है. जिसे ह्यूमन इम्यूनोडेफिशिएंसी वायरस यानि एचआईवी के नाम से जाना जाता है.जबकि इसे आम बोलचाल में एड्स यानि एक्वायर्ड इम्यून डेफिशिएंसी सिंड्रोम बोला जाता है. हर साल विश्व एड्स दिवस दिसंबर माह की पहली तारीख यानि 1 दिसंबर को पूरी दुनिया में मनाया जाता है. इस दिन को वैश्विक स्तर पर मनाने की शुरुआत साल 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन की जागरुकता अभियान में शामिल दो सार्वजनिक सूचना अधिकारियों जेम्स डब्ल्यू बुन और थॉमस नेट्टर ने एचआईवी के खिलाफ एकजुट होने के उद्देश्य से की थी. ‘एचआईवी महामारी समाप्त: समुदाय से समुदाय तक’ इस साल के विश्व एड्स दिवस की थीम है.
राज्य में 1 लाख से अधिक एड्स पीड़ित:
राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अनुसार वर्ष 2017 तक देश में लगभग 21.40 करोड़ लोग एड्स से पीड़ित हैं. जबकि बिहार में लगभग 1.15 लाख लोग एड्स की चपेट में हैं. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4 के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 26.2 प्रतिशत पुरुषों को एड्स के विषय में वृहद् जानकारी है. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के आंकड़ों के सापेक्ष इसमें 1.8 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है. एड्स नियंत्रण में कंडोम की अहम् भूमिका होती है. यह बात प्रदेश की 67 प्रतिशत महिलाओं को ज्ञात है एवं राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 के मुकाबले इसमें भी 4.7 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है. हालाँकि कंडोम इस्तेमाल करने के मामले में पुरुषों को अधिक जागरूक होने की सख्त आवश्यकता है क्योंकि राज्य में केवल 1 प्रतिशत पुरुष ही कंडोम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
बिहार राज्य एड्स नियंत्रण समिति के अपर परियोजना निदेशक डॉ. अभय प्रसाद ने बताया कि नाको द्वारा संचालित एड्स नियंत्रण कार्यक्रम काफ़ी सफल रहा है. समुदाय के साथ मिलकर कार्य करने एवं उनके द्वारा दी जा रही जानकारी को कार्यक्रम में शामिल करने से बेहतर परिणाम भी सामने आ रहे हैं. इस साल के विश्व एड्स दिवस की थीम भी समुदाय से समुदाय तक एड्स के विषय में जागरूकता फ़ैलाने पर आधारित है.
बेहतर सुविधा एवं उपयुक्त निदान पर बल :
बिहार एड्स नियंत्रण सोसाइटी एड्स पीड़ित लोगों को बेहतर सुविधा एवं उपयुक्त निदान प्रदान कराने पर विशेष कार्य कर रही है . बिहार एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा एड्स पीड़ितों को व्यापक सुविधा प्रदान करने के लिए पूरे प्रदेश में 16 एआरटी(एंटी-रेट्रोवायरल) सेंटर स्थापित किया गया है , जो पूर्ण रूप से क्रियाशील भी है. साथ ही अन्य 24 लिंक एआरटी सेंटर भी स्थापित की गयी है जो एड्स पीड़ितों को सुविधा प्रदान कर रही है, जबकि पूर्णियाँ की लिंक एआरटी सेन्टर जेएलएमएनसीएच भागलपुर है. यौन संक्रमित एवं प्रजनन संक्रमित रोगों से बचाव के लिए बिहार एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा सूबे में कुल 43 क्लिनिक एवं 207 आईसीटीसी( इंटीग्रेटेड काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर) खोले गए हैं. पूर्णियाँ जिला में कुल 11 आईसीटीसी खोले गए हैं, जिसमें 2 सदर अस्पताल पूर्णियाँ तथा 09 प्रखंडो – केनगर, बैसा, बिकोठी, कसबा, रुपौली, डगरुआ, बनबनखी, धमदाहा और अमौर में है. इनके माध्यम से एड्स के विषय में लोगों को परामर्श के साथ एड्स की जाँच की सुविधा प्रदान की जा रही है. एड्स के ख़िलाफ़ इस जंग में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कुल 35 गैर-सरकारी संस्थाएं सरकार को सहयोग करते हुए महिला सेक्स वर्करों, समलैंगिकों, ट्रक चालकों एवं प्रवासियों के बीच कार्य कर रही है एवं लोगों को जागरूक क्र रही है.
यह है एड्स फैलने के कारण:
• एचआईवी खून चढ़ाने पर
• असुरक्षित और समलैंगिक यौन संबंध से
• एचआईवी संक्रमित मां से शिशु को
लक्षणों को नहीं करें अनदेखा:
• लंबे समय तक खांसी रहना
• बार-बार सांस फूलना एवं लंबे समय तक बुखार रहना
• सरदर्द एवं मांसपेशियों में दर्द रहना
• शारीरिक कमजोरी आना एवं तेजी से वजन घटना
• त्वचा पर लाल चकत्ते एवं मुंह में छाले होना
• धुंधला दिखाई देना