मुंगेर जिले के 1507 आंगनबाड़ी केंद्रों पर मनाया गया अन्नप्राशन दिवस
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– मां के दूध के साथ बच्चों को पुष्टाहार देने की दी गई जानकारी
– कार्यक्रम में आशा और गर्भवती व धात्री महिलाओं ने हिस्सा लिया
मुंगेर। 19 फरवरी। कुपोषण पर लगाम लगाने के लिए सरकार द्वारा कई कदम उठाये जा रहे हैं। इसी क्रम में जिले के सभी आंगनवाडी केन्द्रों पर अन्नप्राशन दिवस का आयोजन किया गया. पोषक क्षेत्र के शिशुओं को खीर खिलाकर इसकी शुरुआत की गयी तथा धात्री माताओं को भी पूरक पोषाहार के विषय में एवं साफ़- सफाई के बारे में जानकारी दी गयी.
सेविका द्वारा अन्नप्राशन कार्यक्रम की मिलती है जानकारी
जमालपुर क्षेत्र की रेखा देवी ने बताया मुझे अन्नप्राशन कार्यक्रम की जानकारी सेविका द्वारा मिली। जब हम आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे तो वहां अन्नप्राशन के दिन कार्यकर्ता गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाया जा रहा था। बताया गया कि 6 माह से ऊपर के बच्चों को स्तनपान के साथ पूरक आहार भी देना चाहिए। हमारे बच्चे को भी आहार दिया गया। बुधिया देवी ने बताया सेविका की सूचना पर बच्चे के साथ हम आंगनबाड़ी केंद्र पहुंचे। जहां बच्चे को पौष्टिक आहार दी गई और स्वास्थ्य के लिए कई जानकारी भी प्राप्त हुई।
क्यों मनाते हैं अन्नप्राशन
डीपीओ रेखा कुमारी ने कहा बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए 6 माह तक का सिर्फ स्तनपान एवं इसके बाद स्तनपान के साथ पूरक पोषाहार बहुत जरुरी होता है. उन्होंने इस दौरान घर एवं माँ शिशु की साफ़ सफाई की जरुरत पर जोर दिया. उन्होंने बताया अनुपूरक आहार शिशु के आने वाले जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है. इस सम्बन्ध में परिवार एवं समुदाय के सदस्यों को जागरूक किया जाए। इसके साथ ही कार्यक्रम का मकसद यह सुनिश्चित करना है. साथ ही बताया 6 माह से 23 माह तक के बच्चों के लिए यह अति आवश्यक है इस दौरान शरीर एवं दिमाग का विकास तेजी से होना शुरू होता है. जिसके लिए स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की भी जरूरत होती है.
पोषण की विविधता की दी गयी जानकारी: डीपीओ रेखा कुमारी ने बताया मां के दूध के साथ अर्द्धठोस और ठोस आहार दिया जाना चाहिए। चतुरंगी आहार (लाल, सफेद, हरा व पीला) जैसे गाढ़ी दाल, अनाज, हरी पत्तेदार सब्जियां, स्थानीय मौसमी फल और दूध व दूध से बने उत्पादों को बच्चों को खिलाते हैं। तरल व पानी वाला भोजन जैसे दाल का पानी या माड़ नहीं देकर उतना ही अर्धठोस आहार दिया जाता है, जितना बच्चे खा सकें। धीरे-धीरे भोजन की मात्रा, भोजन का गाढ़ापन बढाए जाने की सलाह दी जाती है। साथ ही सभी महिलाओं को यह जानकारी भी दी गई की पोषण जैसे एक गर्भवती महिला के लिए जरूरी है वैसे ही सभी महिलाओं के लिए भी जरूरी है। साथ ही सभी महिलाओं को यह जानकारी भी दी गई की पोषण जैसे एक गर्भवती महिला के लिए जरूरी है
कार्यक्रम में बाल विकास परियोजना पदाधिकारियों, आशा आंगनबाड़ी और गांव की महिलाओं के साथ गर्भवती व धात्री महिलाओं ने हिस्सा लिया।