राज्य के कुल प्रजनन दर में कमी लाने के लिए सशक्त जनसंख्या नीति की जरूरत: संजय कुमार
जनसंख्या नीति में संशोधन को लेकर राज्य स्तरीय कंसल्टेटिव बैठक का आयोजन
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• विभिन्न विभागों के साथ डेवलपमेंट पार्टनरों ने रखी अपनी राय
• वर्ष 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण का रखा गया है लक्ष्य
• सामूहिक सहभागिता पर दिया गया बल
पटना 13 जनवरी
राज्य की वर्तमान कुल प्रजनन दर 3.2 है, जो देश में सर्वाधिक है. कुल प्रजनन दर में कमी लाना राज्य के लिए एक चुनौती है. इसके लिए वर्तमान जनसंख्या नीति को और सशक्त करने के लिए सख्त जरूरत है. इसके लिए जनसंख्या नीति पर गहन विचार विमर्श कर इसमें जरुरी संशोधन की आवश्यकता है. यह बातें स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने सोमवार को शहर के एक होटल में राज्य स्वास्थ्य समिति द्वारा पीएफआई( पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया) के सहयोग से विभिन्न सरकारी विभागों एवं डेवलपमेंट पार्टनरों के राज्य स्तरीय कंसल्टेटिव बैठक के दौरान कही.
सामूहिक सहभागिता जरुरी:
प्रधान सचिव संजय कुमार ने कहा वर्तमान जनसंख्या नीति के अंतर्गत परिवार नियोजन में पुरुषों की सहभागिता, महिला एवं बालिका सशक्तिकरण तथा शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को शामिल करने की जरूरत है. साथ ही नीति को मजबूती प्रदान करने के लिए निरंतर मॉनिटरिंग एवं सुधारात्मक कार्यवाही भी जरुरी है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग के साथ अन्य विभागों के आपसी समन्वय की भी जरूरत होगी. उन्होंने विशेषकर शिक्षा विभाग, पंचायती राज, सामाजिक कल्याण विभाग एवं यूथ अफेयर्स की महत्वपूर्ण भूमिका की बात कही.
वर्ष 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य:
इस अवसर पर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक मनोज कुमार ने बताया वर्ष 2005 में ही राज्य की जनसंख्या नीति बनायी गयी थी. जिसमें वर्ष 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण का लक्ष्य निर्धारित किया गया था. लेकिन वर्तमान जनसंख्या नीति उद्देश्यों को हासिल करने में असफल होता दिख रहा है. इसलिए इस नीति में संशोधन की जरूरत पड़ी है. बिहार देश भर में युवाओं का दूसरा बड़ा राज्य है. इसलिए हम लोगों की जिम्मेदारी है कि इनके विकास के लिए इन्हें बेहतर संभावनाएं प्रदान की जाए. साथ ही इन्हें ध्यान में रखते हुए बेहतर जनसंख्या नीति निर्मित की जाए. इसको लेकर पूर्व में कई बैठकें की जा चुकी है. साथ ही 24 दिसम्बर को यूथ एवं किशोर प्रतिनिधियों के साथ राज्य स्तरीय कंसल्टेटिव बैठक भी हुयी है.
एसडीजी उद्देश्यों को हासिल करने में बिहार की अहम भूमिका:
पापुलेशन फाउंडेशन ऑफ़ इंडिया के कार्यपालक निदेशक पूनम मुर्तेजा ने बताया देश की तरफ से सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल(एसडीजी) के उद्देश्यों को हासिल करने में बिहार की अहम भूमिका होगी. विगत कुछ सालों में मातृ एवं बाल मृत्यु दर एवं संस्थागत प्रसव में बिहार की उल्लेखनीय प्रगति रही है. लेकिन कुछ सूचकांकों में अभी भी बेहतर कार्य करने की जरूरत है. उन्होंने बताया जनसंख्या नीति को एकीकृत, कंसल्टेटिव एवं समय बाध्यता के अनुरूप डिजायन किया गया है. साथ ही इस बैठक के साथ एवं अन्य स्रोत्रों से प्राप्त परामर्श के आधार पर जनसंख्या नीति को राज्य स्वास्थ्य समिति एवं पीएफआई द्वारा संशोधित किया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश्य राज्य में जनसंख्या स्थिरीकरण के लक्ष्यों को हासिल करना है.
यह है जनसंख्या नीति:
वर्ष 2015 तक राज्य की कुल प्रजनन दर को 2.1 तक लाने एवं वर्ष 2045 तक जनसंख्या स्थिरीकरण के उद्देश्य से वर्ष 2005 में बिहार की जनसंख्या नीति बनायी गयी. लेकिन कुछ सूचकाकों को छोड़कर राज्य का अपेक्षाकृत प्रदर्शन नहीं रहा. जिसमें बाल विवाह, पहले बच्चे के जन्म में अंतर, दो बच्चों के बीच का अंतराल जैसे महत्वपूर्ण शामिल है जो कुल प्रजनन दर को प्रभावित करते हैं. इसे ही ध्यान में रखते हुए जनसंख्या नीति में संशोधन की जरूरत पड़ी.
संशोधन के लिए दो समितियां गठित:
बिहार जनसँख्या नीति के संशोधन हेतु दो समितियां गठित की गई हैं, जिसमे प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग संजय कुमार की अध्यक्षता में “कोर समिति” एवं भारत सरकार के सेवानिवृत स्वास्थ्य सचिव केशव देश राजू की अध्यक्षता में “प्रारूप समिति” का गठन किया गया है. कोर समिति महीने में एक बार बैठक करेगी. बैठक के जरिये वर्तमान जनसँख्या नीति में तय किये गए लक्ष्य के सापेक्ष हुए विकास की समीक्षा, वर्तमान रणनीति की समीक्षा करते हुए प्रारूप समिति को सुझाव देगी. साथ ही विभिन्न साझेदारों के सुझावों हेतु विमर्श भी करेगी. यह प्रारूप समिति द्वारा बनाये गए जनसँख्या नीति के अंतिम प्रारूप की समीक्षा भी करेगी. वहीँ प्रारूप समिति राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर के वर्तमान नीतियों एवं कार्यक्रमों की समीक्षा एवं विश्लेषण करेगी तथा आंकड़े एवं साक्ष्य का अध्ययन कर वर्तमान स्थिति पर सुझाव देगी.