लॉकडाउन के दौरान घर में महिलाएं और बच्चों का रखें ख्याल
आंगनबाड़ी वर्कर्स कोरोना के संक्रमण रोकने के लिए लोंगो को कर रहे जागरूक
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सर्दी, खांसी, सांस की समस्या होने पर चिकित्सक से परामर्श लेने की दें सलाह
मोबाइल ऐप के जरिए ऑनलाइन आंगनबाड़ी वर्करों को दी गई ट्रेनिंग
मुंगेर/3 अप्रैल। नोवेल कोरोना वायरस के प्रति महिलाएं और बच्चों में जागरूकता लाने के लिए स्वास्थ्य विभाग और केयर इंडिया के सहयोग से मोबाइल ऐप के द्वारा ऑनलाइन आंगनबाड़ी वर्करों को ट्रेनिंग दी गई। शुक्रवार को आयोजित ऑनलाइन ट्रेनिंग में मुंगेर जिले के भी आंगनबाड़ी वर्कर्स मोबाइल ऐप के जरिए जुड़ी रहीं। इस दौरान महिलाओं और बच्चों के रहन-सहन, खानपान सहित कोरोना के मुद्दों पर विस्तार से आंगनबाड़ी वर्करों को बताया गया।
पोषण अभियान की डिप्टी डायरेक्टर डॉ पारो श्रीवास्तव ने कहा कि आंगनबाड़ी वर्कर्स समुदाय के साथ मिलकर अच्छा काम कर रही हैं। जिसका परिणाम भी अच्छा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि कोविड-19 एक अनजान वायरस है इससे हमें बचने के लिए कई तरह की सावधानियां बरतनी होगी। इसे लेकर देश में पीएम के द्वारा लॉकडाउन लगाया गया है। इस दौरान घरों में रहकर कोरोना वायरस को हराना है।
घबराहट और डर ज्यादा नहीं रखें
इस खतरे को धैर्य रखकर निपटा जा सकता है। आंगनबाड़ी वर्करों को बताया गया कि आप लोगों को बताएं कि घबराहट और डर ज्यादा नहीं रखना चाहिए। उन्होंने आंगनबाड़ी वर्करों को कहा कि भ्रमण के दौरान अगर किसी को सर्दी, खाँसी व सांस की समस्या हो तो चिकित्सीय सलाह लेने की उन्हें जरूरत बताएं। घर की जिम्मेदारी सबकी है मिलकर काम करने की जरूरत है। महिलाओं की जिम्मेवारी ज्यादा बढ़ गई है।
बच्चों के लाइफस्टाइल को अच्छा बनाएं
आंगनबाड़ी वर्करों को बताया गया कि आप लोगों के घरों में जाकर अभिभावक को यह बताएं कि शारीरिक व मानसिक रूप से पूरे परिवार को स्वस्थ रखना है। आपको बच्चों को कोरोना वायरस सहित छोटी-छोटी बातों की जानकारी देनी चाहिए। बच्चों को समझदार बनाएं और साफ सुथरा रहने के बारे में उन्हें जानकारी दें। बच्चे घर में रहकर बोर ना हो आप खुद उनके साथ बैठकर बातें करें, खेलें या मस्ती करें। बच्चों के लाइफस्टाइल को बेहतर बनाएं उन्हें टाइम टेबल के हिसाब से खाना नाश्ता या फिर टीवी देखने के लिए एक समय सारणी बनाएं।
बच्चों के प्रति हमेशा सकारात्मक सोच रखें
छोटे बच्चे बहुत ज्यादा प्रश्न पूछते हैं क्यों बंद है, कब खुलेगा, कब बाहर जाएंगे कई तरह के सवाल उनके मन में उठते हैं तब अभिभावक उनसे कहें हां लग रहा है कि तुम ठीक कह रहे हो लेकिन यह बहुत जल्द ही ठीक हो जाएगा। बच्चों के ऐसे व्यवहार पर पनिसमेंट की जरूरत नहीं है। बच्चों के प्रति हमेशा सकारात्मक सोच रखें। बच्चों को नए रूटीन में लाने के लिए समय लगता है। अगर बच्चे हाथ नहीं धोए हैं तो उन्हें डाहिए नहीं, बल्कि कहे कि लगता है आप भूल गए जाइए हाथ धो लीजिए। ऐसी सकारात्मक बातें बच्चे तुरंत समझ जाते हैं।
30 सेकेंड्स तक साफ करें हाथ
पानी और साबुन का इस्तेमाल करते हुए हाथों को 30 सेकेंड्स तक रगड़कर साफ करने एवं खाने के पहले और बाद, शौचालय के इस्तेमाल के बाद अवश्य साबुन से हाथ धुलने की सलाह दें। लोगों को ऐसे सेनेटाइजर का इस्तेमाल करना चाहिए जिसमें 60 प्रतिशत एल्कोहल हो।
इस्तेमाल होने वाले वस्तुओं की सफाई जरूरी
कुर्सी, मेज, लाइट के स्विच, दरवाजे और हत्थे को घर के सभी लोग इस्तेमाल करते हैं, इन्हें रोजाना साफ करें। बीमार लोगों से मिलने पर परहेज करें। यदि खुद बीमार हैं तो डॉक्टर से मिलने के अलावा बाहर निकलने से बचें। खांसी और जुकाम होने पर टिश्यू का इस्तेमाल करें। परिजनों के साथ कम बैठें।