पूर्णियाँ : आरएमएनसीएच + ए के तहत फिर से शुरू होगी परिवार नियोजन की सेवाएं
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• परिवार नियोजन के तहत बंध्याकरण सेवा की होगी शुरुआत
• कंटेंटमेंट जोन एवं बफर जोन में नहीं होगी बंध्याकरण
• ऑपरेशन थिएटर को किया जाएगा सेनीटाइज
• राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निदेशक ने दिया निर्देश
पूर्णियाँ : 22 जून
कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान परिवार नियोजन की सेवाएं बाधित हुयी थी. लॉकडाउन के दौरान अवांछित गर्भधारण के बचाव के लिए इच्छानुसार परिवार नियोजन की नियमित सेवाओं की उपलब्धता जरूरी है. कोविड-19 महामारी में प्रभावित सेवाओं से उबरने को लेकर राज्य स्वास्थ्य समिति के कार्यपालक निर्देशक मनोज कुमार द्वारा सिविल सर्जन को पत्र के माध्यम से दिशा निर्देश जारी किया गया है. पत्र द्वारा सभी अनुमंडल अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पुनः परिवार नियोजन के तहत सभी सेवाओं को पुनः शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही हेल्थ एंड वैलनेस सेंटर को लेकर आशा एवं एएनएम के द्वारा फैमिली फोल्डर भरने व लोगों को जागरूक करने की दिशा निर्देश दिए गए हैं.
फिर से होगी अस्पतालों में महिला नसबंदी की शुरुआत :
ज्ञात हो कि कोविड-19 महामारी में स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर अतिरिक्त ध्यान देते हुए आरएमएमसीएच+ए सेवाएं दी जाती है. लॉकडाउन के कारण परिवार नियोजन की सेवा बाधित हो गई थी, जिसे राज्य स्वास्थ्य समिति के निर्देश पर जिले में पुनः बहाल करने की पहल की जा रही है. इसे लेकर सिविल सर्जन ने सभी अनुमंडलीय अस्पताल एवं प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में पुनः महिला नसबंदी तथा परिवार नियोजन के अन्य सेवाओं को बहाल करने निर्देश दिया. साथ ही ऑपरेशन थिएटर को सेनीटाइज करने की भी बात बतायी गयी है.
पहले से पंजीकृत महिलाओं की ही होगी नसबंदी:
प्रजनन स्वास्थ्य सेवा के तहत फिक्स्ड डे सेवा, प्रसव या गर्भपात उपरांत बंध्याकरण, कॉपर-टी एवं प्रसव उपरांत कॉपर-टी सुविधा पहले की तरह प्रदान की जाएगी. महिला नसबंदी उन्हीं महिलाओं का होगा जो पहले से प्री- रजिस्टर्ड होंगी. लेकिन कांटेन्मेंट एवं बफर जोन में सेवाएं प्रदान नहीं की जाएगी. फिक्स्ड डे सेवा के तहत बंध्याकरण की सुविधा अस्पताल में दी जाएगी प्रति दिन 10 लाभार्थियों को ही सेवा मिल सकेगी, एवं कॉपर टी एवं प्रसव उपरांत कॉपर टी की सुविधा की मांग करने पर यह सेवा अस्पताल में उपलब्ध होगी.
इन परिवार नियोजन साधनों का उठायें लाभ:
पीपीआईयूसीडी –
बच्चों में अंतराल रखने तथा अनचाहे गर्भ से निजात के लिए प्रसव के 48 घंटे के अंदर पीपीआईयूसीडी(प्रसव उपरांत कॉपर टी संस्थापन) लगाया जाता है. गर्भनिरोधक का यह एक सुरक्षित साधन है. इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं होता है. यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिससे लंबे समय तक गर्भधारण की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. इसमें ऑपरेशन की भी आवश्यकता नहीं होती है. पीपीआईयूसीडी दो तरह की होती है. एक 5 साल के लिए तथा दूसरा 10 साल के लिए के लिए होता है. सभी सरकारी यह अस्पतालों में मुफ्त लगाई जाती है.
एमपीए (अंतरा) –
अंतरा अस्थायी गर्भनिरोधक साधनों में एक बहुत असरदार विधि है. एक इंजेक्शन से 3 महीने तक गर्भधारण की संभावना नहीं होती है. दूध पिलाती मां भी ले सकती है जिससे दूध की मात्रा और गुणवत्ता पर कोई असर नहीं पड़ता. ना ही शिशु पर कोई हानिकारक प्रभाव पड़ता है.यदि महिला ठीक 3 महीने बाद इंजेक्शन लगवाने नहीं आती तो निर्धारित तिथि से 14 दिन पहले 28 दिन बाद तक भी इंजेक्शन लगा सकती है. अंतरा महिलाओं के लिए एक सरल व सुरक्षित असरदार साधन है जिसे प्रत्येक 3 महीने के अंतराल पर महिला को एक इंजेक्शन लेना होता है. गर्भधारण रोकने में यह 99.7% प्रभावी होता है. तिमाही लगने वाली इंजेक्शन इसका पूरा नाम मेड्रोक्सी प्रोजेस्ट्रोन एसीटेट है. अंतरा का प्रयोग बंद करने के कुछ माह बाद महिलाओं को पहले की तरह माहवारी होने लगती है और वह पुनः गर्भधारण कर सकती है.
लाभार्थी एवं प्रेरक दोनों को प्रोत्साहन राशि :
बच्चों में अंतराल एवं अनचाहे गर्भ से बचाव के लिए नवीन गर्भ निरोधक- ‘अंतरा’ की शुरुआत की गयी है. ‘अंतरा’ एक गर्भ निरोधक इंजेक्शन है, जिसे एक या दो बच्चों के बाद गर्भ में अंतर रखने के लिए दिया जाता है. इस तरह साल में चार इंजेक्शन दिया जाता है. साथ ही सरकार द्वारा अंतरा इंजेक्शन लगवाने पर प्रति डोज या सूई लाभार्थी को 100 रूपये एवं उत्प्रेरक को भी 100 रूपये दिए जाने का प्रावधान है.