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किशनगंज : जूम एप के माध्यम से सेफ डिलीवरी के क्रियान्वयन को लेकर दिया जायेगा ऑनलाइन प्रशिक्षण


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•राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृ स्वास्थ्य, डॉ. सरिता ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है।
• 8 फरवरी को होगा प्रशिक्षण कार्यक्रम
• एनएचएम बिहार व मैटरनिटी फाउंडेशन के द्वारा दी जायेगी ट्रेनिंग

किशनगंज, 03 फरवरी

जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में सुरक्षित प्रसव को बढ़ावा देने के लिए एनएचएम के द्वारा सेफ डिलीवरी एप का निर्माण किया गया है। इसके सफल क्रियान्वयन को लेकर चिकित्साकर्मियों को ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जायेगा। प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराना है। साथ ही साथ मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाना एवं प्रसव के दौरान आने वाली चुनौतियों से निपटना एवं प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा की सही देखभाल भी इसका मुख्य उद्देश्य है। जूम एप के माध्यम से 8 फरवरी को 2 बजे से 4 बजे तक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा। इसको लेकर राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, मातृ स्वास्थ्य, डॉ. सरिता ने सभी सिविल सर्जन को पत्र लिखकर आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किया है। जारी पत्र में बताया गया है कि एनएचएम बिहार व मैटरनिटी फाउंडेशन के द्वारा सेफ डिलीवरी एप की ऑनलाइन ट्रेनिंग दी जायेगी। इस ट्रेनिंग में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, अस्पताल उपाधीक्षक, अधीक्षक, प्रबंधक, सभी स्टाफ नर्स, एएनएम व पीएचसी तथा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर कार्यरत कर्मियों को ट्रेनिंग दी जायेगी।

जूम एप के माध्यम से प्रसव संबंधित जानकारी:
प्रसव में कोई भी परेशानी होने पर स्टाफ नर्स व एएनएम को एप पर संबंधित परेशानी से जुड़ा वीडियो व जानकारियां मिल जाती हैं। ऐसे में त्वरित उपचार मिलने से जच्चा-बच्चा की जान भी बच जाती है। इससे जिले के मातृ एवं शिशु मृत्युदर आंकड़ों में भी कमी आने की उम्मीद है।

2017 में सेफ डिलीवरी एप लांच हुआ:
ग्रामीण क्षेत्र में प्रसव कराने वाली एएनएम व स्टाफ नर्स के लिए 2017 में सेफ डिलीवरी एप लांच हुआ। प्ले स्टोर पर मुफ्त उपलब्ध इस एप में प्रसव के समय होने वाली परेशानियों की सूची, इसके कारण, समस्या व निदान की जानकारी व वीडियो उपलब्ध है, जिससे स्वास्थ्यकर्मी वीडियो देखकर प्रसव के समय ही उसका निदान कर सकें। मोबाइल में एप लोड करने के बाद पहली बार पंजीकरण (रजिस्ट्रेशन) करना पड़ता है। इसके बाद कर्मचारी बिना इंटरनेट सुविधा के भी जानकारियां देख सकते हैं।

सुरक्षित प्रसव को मिलेगा बढ़ावा :
एप के आने से स्वास्थ्य कर्मियों को प्रसव से जुड़ी नई-नई जानकारियां आसानी से मिल जायेंगी हैं। प्रसव कक्ष में समय पर इलाज होने से जच्चा-बच्चा की जान बचती है। सुरक्षित प्रसव को भी बढ़ावा मिल रहा है।

सुरक्षित प्रसव कराना मुख्य उद्देश्य
इस प्रशिक्षण से प्रसव के दौरान आने वाली समस्याओं की जानकारी मिलेगी, साथ ही साथ उससे कैसे निपटा जाए, उसकी भी जानकारी मिलेगी। सदर हॉस्पिटल किशनगंज के अस्पताल उपाधीक्षक डॉ. अनवर आलम ने बताया कि सदर हॉस्पिटल में प्रसूति महिलाओं के सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस ऑपरेशन थियेटर और लेबर रूम कार्यरत कार्ररत है। यहां तकनीकी रूप से दक्ष और अनुभवी डॉक्टर, नर्स और अन्य मेडिकल स्टाफ कार्यरत हैं। ऑपरेशन थियेटर, लेबर रूम सहित प्रसव पूर्व और प्रसव पश्चात रूम की नियमित साफ-सफाई के लिए अनुभवी और कर्मठ सफाई कर्मी हैं। यही वजह है कि सुरक्षित संस्थागत प्रसव के लिए जिले के लोग निजी हॉस्पिटल में नहीं जाकर सदर हॉस्पिटल आ रहे है।

मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए कराएँ संस्थागत प्रसव –

सिविल सर्जन श्री नंदन ने बताया कि एक अध्ययन के अनुसार, मां और नवजात बच्चों की मौत की अधिकतर घटनाएं प्रसव के 24 घंटे के दौरान होती हैं। इसलिए मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए संस्थागत प्रसूति सेवाओं के विस्तार, समय रहते प्रसव संबंधी जटिलताओं की पहचान एवं उनका उपचार जरूरी होता है। कई बार समय पर सही उपचार न मिल पाने से मां और उसके शिशु का जीवन खतरे में पड़ जाता है। सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं पर गरीब अधिक आश्रित रहते हैं। इसलिए इन सेवाओं के मजबूत करने की दिशा में मंगलवार को बेलवारा स्वास्थ्य केंद्र-सह वेलनेस सेंटर पर प्रसूति सेवाओं का प्रारंभ कराया गया है | प्रसव के दौरान रक्तस्राव को मातृ मृत्यु दर अधिक होने का एक प्रमुख कारण माना जाता है। आपात स्थिति में स्वास्थ्य केंद्रों से रेफरल केंद्र के रूप में कार्य करने की अपेक्षा रहती है | दवाओं और अन्य जरूरी चीजों की आपूर्ति में खामियां स्थिति को और भी गंभीर बना देती हैं। इसलिए जिले के सभी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर प्रसव सेवा प्रारंभ है |

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