– फैसिलिटी एवं समुदाय दोनों स्तरों पर की जा रही पहचान
– चिन्हित बच्चों का एसएनसीयू में ईलाज की सुविधा उपलब्ध
पूर्णियाँ/ 23 नवम्बर:
नवजात को जन्म के ही समय कुछ विकृतियाँ हो सकती है. सही समय पर विकृतियों की पहचान कर नवजात को नया जीवन दान भी दिया जा सकता है. इसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा फैसिलिटी एवं समुदाय दोनों स्तरों पर ऐसे नवजातों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं.
एसएनसीयू में उपलब्ध है सुविधा:
राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी बाल स्वास्थ्य डॉ. वीपी राय ने बताया जन्मजात विकृतियों की सही समय पर पहचान करना जरुरी होता है. नवजात को समुचित ईलाज प्रदान कर उनकी विकृति को दूर किया जा सकता है. समुदाय स्तर पर आशा घर-घर जाकर जन्मजात विकृति वाले नवजातों की पहचान करती है. इसके लिए आशाओं का क्षमतावर्धन भी किया गया है. फैसिलिटी स्तर पर भी संस्थागत प्रसव के बाद नवजातों में जन्मजात विकृति की पहचान की जाती है. चिन्हित नवजातों को विशेष ईलाज प्रदान कराने के लिए जिले में स्थित सिक न्यू बोर्न यूनिट(एसएनसीयू) में रेफर किया जाता है. एसएनसीयू में ऐसे बच्चों के लिए पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है.
ऐसे पहचाने विकृतियों को :
जिला कार्यक्रम प्रबंधक ब्रजेश कुमार सिंह ने बताया जन्मजात विकृतियों में कई जटिलताएं शामिल होती है. जिसमें मल त्याग करने के रास्ते का नहीं बनना, श्वास नली में अधिक समस्या, पैरों का मुड़ा होना, सर का आकर सामान्य से अधिक हो जाना, ह्रदय में छिद्र या ह्रदय संबंधित गंभीर समस्या का होना एवं स्पाइनल कोर्ड विकृति जैसे अन्य रोग भी शामिल है.
गंभीर स्थिति में मेडिकल कॉलेज रेफ़र करने का प्रावधान:
समुदाय एवं फैसिलिटी स्तर से जन्मजात विकृति वाले बच्चों को चिन्हित कर सर्वप्रथम एसएनसीयू भेजा जाता है. एसएनसीयू में विशेषज्ञ चिकित्सकों की देखरेख में ईलाज होता है. लेकिन यदि स्थिति अधिक नाजुक होती है तब एसएनसीयू से नवजात को नजदीकी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में रेफर करने का भी प्रावधान किया गया है. इसके लिए सभी जिलों के एसएनसीयू को राज्य की तरफ़ से निर्देशित भी किया गया है.
नवजात को जन्मजात विकृति से बचाने के लिए गर्भवती दें ध्यान:
• गर्भवती महिला को गर्भावस्था के दौरान हरी पत्तेदार सब्जियाँ, फ़ल, दाल एवं फ़ोलिक एसिड युक्त आहार का अधिक सेवन करना चाहिए
• गर्भावस्था के दौरान कम से कम 3 प्रसव पूर्व जाँच जरुर करायें
• चिकित्सक की सलाह पर ही किसी भी प्रकार का दवा सेवन करें
• गर्भावस्था के दौरान शराब सेवन या ध्रूमपान सेवन से बचें
• गर्भावस्था के दौरान साफ़-सफाई पर ध्यान दें. किसी भी यौन संक्रमण के लक्षण दिखाई देने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में सलाह लें.