आईएलए मॉड्यूल की जानकारी के लिए कार्यशाला का किया गया आयोजन
सभी सीडीपीओ को स्तनपान एवं ऊपरी आहार की विशेषता पर दी गई जानकारी
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• जिला संसाधन समूह द्वारा दो दिवसीय कार्यशाला का किया गया आयोजन
पूर्णियाँ : 03 दिसंबर
स्तनपान एवं ऊपरी आहार के विषय में जानकारी देने हेतु जिला समाहरणालय के विकास भवन में दो दिवसीय जिला संसाधन समूह की आईएलए मॉडल 10 तथा 12 की कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में सभी को कंगारू मदर केयर, स्तनपान तथा ऊपरी आहार की जरूरत एवं विशेषता के बारे में विस्तार से बताया गया.
प्रथम 6 महीने शिशु को केवल स्तनपान सुनिश्चित कराना :-
कार्यशाला में सभी को बताया गया कि मां का दूध शिशु के लिए सर्वोत्तम आहार होता है. पहले 6 महीने तक बच्चे को केवल स्तनपान करवाया जा रहा है यह सुनिश्चित करने के लिए सभी सीडीपीओ एवं महिला पर्यवेक्षक टीकाकरण दिवस पर टिकी के दौरान मां से केवल स्तनपान के बारे में पूछे और संभव हो तो गृह भ्रमण भी करें. इससे लोगों में जागरुकता आएगी एवं लोग स्तनपान के महत्वपूर्ण समझ सकेंगे. इसीलिए पहले 6 महीना में शिशु को केवल मां का दूध ही पिलाया जा रहा है, इसके अलावा कुछ भी नहीं दिया जा रहा है इसकी जांच जरूरी है. 6 महीने तक शिशु के विकास के लिए मां के दूध में पर्याप्त पोषण होता है शिशु की जरूरत के अनुसार मां के दूध में पानी की भी पर्याप्त मात्रा होती है| इसीलिए पहले 6 महीना के दौरान शिशु को पानी भी नहीं पिलाना चाहिए. इसकी जानकारी लोगो तक पहुंचनी चाहिए. अगर उसे प्यास लगे तो भी उसे मां का दूध ही दिया जाना चाहिए.
ऊपरी आहार शुरू करवाने में करें सहयोग :-
कार्यशाला में ऊपरी आहार शुरू करवाने संबंधी निर्देश भी दिए गए. उन्हें बताया गया कि 6 माह पूरे होने के बाद शिशु को ऊपरी आहार की भी जरूरत होती है. 6 माह पश्चात बच्चे को केवल स्तनपान उनके पोषण के लिए पर्याप्त नहीं होता बच्चे की लंबाई और वजन को बढ़ाने और मन बुद्धि के पर्याप्त विकास सुनिश्चित करने के लिए स्तनपान के साथ-साथ ऊपरी आहार खिलाना आवश्यक है. आहार से इस उम्र में बच्चे को खेलने बीमारियों से लड़ने एवं विकसित होने में मदद मिलती है. इस दौरान बच्चे को मुलायम या नरम खाना ही खिलाया जाता है. जिसे शिशु को चबाने की जरूरत ना पड़े. इस दौरान कोई भी तरल पदार्थ जैसे दाल का पानी या चावल का माड़ आदि नहीं रहना चाहिए.
कमजोर नवजात शिशु की पहचान और देखभाल है जरूरी :-
कमजोर नवजात शिशु की मृत्यु की संभावना स्वस्थ शिशु की तुलना में बहुत अधिक होती है. इसलिए उसकी उचित देखभाल की व्यवस्था किया जा रहा है इसकी जांच बहुत जरूरी है. लोगों को यह जानकारी दी जाए कि कमजोर शिशुओं की खास देखभाल के लिए बच्चे को कंगारू मदर केयर विधि द्वारा गर्म रखने की कोशिश करनी चाहिए. उनकी स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. शिशु को छूने या स्तनपान कराने से पहले साबुन से हाथ धोने इत्यादि का ध्यान रखने की जानकारी देना चाहिए. जब तक कमजोर नवजात शिशु ताकत से स्तनपान करना शुरू ना कर दें उनका वजन पर्याप्त क्षमता से बढ़ने ना लगे तब तक उसे खास देखभाल की जरूरत होती है इसकी जानकारी लोगों को देनी चाहिए आदि की जानकारी कार्यशाला में दी गई.
कार्यशाला में जिला प्रोग्राम पदाधिकारी आईसीडीएस शोभा सिन्हा, जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉक्टर सुभाष चंद्र पासवान, केयर इंडिया के डिटीएल आलोक पटनायक पोषण सलाहकार आकांशा पाल द्वारा सभी 15 सीडीपीओ को प्रक्षिक्षण दिया गया|