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पुण्यतिथि पर याद किए गए शिक्षाविद स्वर्गीय बीडी ओझा

जमालपुर। नेक्सा लीगल संस्थान के कार्यालय में सोमवार को शिक्षाविद स्वर्गीय वासुदेव ओझा की 28 वीं पुण्यतिथि निष्ठापूर्वक मनाई गई।

कार्यक्रम की अध्यक्षता नेक्सा लीगल के संस्थापक अधिवक्ता आशीष कुमार ने की।

कार्यक्रम में शामिल हुए सत्संगी श्रद्धालु सामाजिक कार्यकर्ता एवं बीडी ओझा के पुराने छात्र रहे शिक्षाविदों ने उनके तैलीय चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।

इस दौरान अपने मनोभावों व्यक्त करते हुए गायत्री शक्तिपीठ जमालपुर के उप जोनल प्रतिनिधि मनोज मिश्रा ने कहा कि शिक्षाविद स्वर्गीय बीडी ओझा असहाय छात्रों के मसीहा थे। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे।

आशीष कुमार “अधिवक्ता” ने कहा कि ओझा जी पूरी तन्मयता एवं निष्ठा से छात्रों के कल्याण करने में संलग्न रहते थे। उनके जीवन से प्रेरणा मिलती है कि यदि छात्रों के प्रति समर्पण भाव रहेगा तो छात्र भी उन्हें अवश्य याद रखेंगे। यही कारण है कि आज उनके स्वर्गवास के 28 वर्ष बीत जाने के बाद भी उनके पुराने छात्र आज भी उन्हें निष्ठा पूर्वक याद कर रहे हैं। वे आदमी से ज्यादा एवं देवता से थोड़ी कम ही थे।

प्रखंड संतमत सत्संग के प्रचार मंत्री एवं स्वर्गीय बीडीओझा के परम प्रिय छात्र रहे सत्संगी राजन कुमार चौरसिया ने कहा कि स्वर्गीय बीडीओझा को अपने जीवन से ज्यादा उन्हें आदर्श प्यारा था।

वे सही मायने में सफल कर्मयोगी थे।

उन्हें सत्संग एवं सतगुरु से गहरा लगाव था।

यही कारण है कि जब उन्हें दूसरों की रक्षा में एक बार गोली लगी थी

और स्वस्थ होने के बाद केशोपुर संतमत सत्संग आश्रम सबसे पहले प्रणाम करने के लिए गए थे।

वे गणित ,भौतिक एवं रसायन शास्त्र के बड़े विद्वान शिक्षक थे। वे दिन रात छात्रों की समस्याओं का हल करने में रहते थे।

तभी उनके निधन में महान कवि डॉ रमेश नीलकमल ने अपने काव्य रचना में उद्गार व्यक्त किये थे –

गणित ठिठक कर तक रहा मानो कुछ भूल गया हो और रसायन शास्त्र दुख से फांसी झूल गया हो।

सत्संगी राजेश सरस्वती ने कहा कि स्वर्गीय वासुदेव ओझा जी शिक्षा दान देते थे।

परंतु किसी व्यावसायिक मकसद के वे गरीब छात्रों को निःशुल्क शिक्षा तो देते ही थे।

साथ ही आवश्यकता अनुसार उनकी आर्थिक मदद के लिए तैयार रहते थे।

अधिवक्ता” ने कहा स्वर्गीय बीडी ओझा जैसे महान व्यक्तित्व को याद रखना आज के सामाजिक परिवेश में अनिवार्य है।

क्योंकि आज स्वर्गीय ओझा जी के तरह निःस्वार्थ शिक्षा दान देने वालों का घोर अभाव होता जा रहा है।

उन्होंने साधारण जीवन शैली जीते हुए भी अपने आचरण व्यवहार से असाधारण एवं महान बन गए थे।

मौके पर गोपी मिश्रा, प्रमोद यादव, पवन चौरसिया, चंद्रशेखर मंडल , सौरभ कुमार, मनीष कुमार, राजीव कुमार, जितेंद्र कुमार, उदय चौरसिया

अमरनाथ, चंद्रशेखर यादव, विभाष कुमार, अभिमन्यु साह, सुभाष चौरसिया, अरविंद मिश्रा, नरेश प्रसाद सहित दर्जनों गणमान्य लोग मौजूद थे।

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