फाइलेरिया उन्मूलन की मुहिम शुरू
7 नवंबर से 21नवंबर तक चलेगा एमडीए कार्यक्रम
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सीफ़ार के सहयोग से मीडिया कार्यशाला का हुआ आयोजन
जिले में 23 लाख से अधिक लोग करेंगे दवा का सेवन
घर-घर जाकर खिलायी जाएगी दवा
सहरसा/ 7 नवंबर: जिले में सात नवंबर से घर घर जाकर आशाएं फाइलेरिया की दवाई लोगों को खिलायेंगी. यह फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. सर्वजन दवा सेवन(एमडीए) के तहत जिले में 7 नवंबर से 20 नवंबर तक फाइलेरिया की दवा खिलाई जायेगी. यह बातें सिविल सर्जन डॉ. ललन सिंह ने गुरुवार को सेंटर फॉर एडवोकेसी एन्ड रिसर्च द्वारा आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही।
उन्होंने बताया इसके लिए संबंधित कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. दो आशाओं की एक टीम गठित की गयी है जो घर घर जाकर दवाई खिलायेंंगी. इस काम की मॉनिटरिंग प्रभारी चिकित्सा प्रभारी करेंगे और शाम को रिपोर्ट देंगे. किसी भी परिस्थिति में फाइलेरिया की दवाई खिलायी जानी है और जिला से फाइलेरिया को पूर्णत: समाप्त करेंगे.उन्होंने कहा इस दवा को कोई भी नुकसान नहीं होता है और सभी लोग इस दवाई का सेवन करें. दवाई खाने से फाइलेरिया से होने वाली बीमारी जैसे हाथी पांव से बचा जा सकता है।
23 लाख से अधिक लोग करेंगे दवा का सेवन:
इस कार्यक्रम में कुल 23.51 लाख लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जिसमे दो वर्ष से कम उम्र, गर्भवती महिला तथा अत्यधिक बीमार को छोड़कर अन्य लोगों को दवा खिलाई जाएगी। इस कार्यक्रम के लिए कुल 2035 दवा खिलने वाला कार्यकर्ता(ड्रग एडमिनिस्ट्रेटर), 1016 दल एवं 105 पर्यवेक्षकों की तैनाती की गयी है। 7 नवंबर से शुरू यह अभियान कुल 14 दिनों तक चलेगा।
अन्य विभागों की होगी सहभागिता:
इस कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के साथ जीविका, शिक्षा विभाग,आईसीडीएस एवं पंचायती राज विभाग भी सहयोग करेंगे। सोशल मोबिलाजेशन में पीसीआई संसथान के जिला समन्वयक प्रिंस कुमार का भी सहयोग रहा है।
सभी को खानी है दवा:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ रवीन्द्र कुमार ने बताया फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन करना जरूरी है. यह दवा सभी लोगों को खानी है.
यह दवा हर एक आदमी को खानी है जो इस जिले से संबंध रखता है. इस दवाई के सेवन का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. यदि इस दवा के खाने के बाद उल्टी, हल्का बुखार या चक्कर आता है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है. बल्कि इसे समझने की जरूरत है कि उसमें फाइलेरिया के जीवाणु मौजूद हैं और यह लक्षणों में से एक है. यानी वह व्यक्ति फाइलेरिया जीवाणु से प्रभावित है.
इन लोगों को नहीं खानी है दवा:
फाइलेरिया की दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी है. साथ ही गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खिलाया जायेगा. अलबेंडाजोल सभी लोगों दिया जाना है. डीईसी दो साल से पांच साल की उम्र के बच्चों को एक गोली, छह साल से पंद्रह साल के बच्चों को दो गोली और सोलह साल उम्र के बच्चों व इससे अधिक उम्र वाले लोगों को तीन गोली दिया जाना है.
कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ ललन सिंह , भीबीडी जिला सलाहकार राजेश कुमार, जिला मेलरिया पदाधिकारी डॉ रवीन्द्र कुमार,
डीपीएम, अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.