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35 लाख से अधिक लोगों को खिलायी जायेगी फाइलेरिया की दवा

सीफ़ार के सहयोग से फाइलेरिया उन्मूलन पर आयोजित की गयी कार्यशाला

– दो दवाओं की नीति से होगा फाइलेरिया का सफाया

– 7 नवंबर से 21 नवंबर तक चलेगा सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम

अररिया / 7 नवंबर: जिले में सात नवंबर से घर घर जाकर आशाएं फाइलेरिया की दवाई लोगों को खिलायेंगी. यह फाइलेरिया उन्मूलन की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है. इस अभियान के तहत अब 7 नवंबर से 21 नवंबर तक फाइलेरिया की दवा खिलायी जायेगी. इसके लिए संबंधित कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. दो आशाओं की एक टीम गठित की गयी है जो घर घर जाकर दवाई खिलायेंंगी. इस काम की मॉनिटरिंग प्रभारी चिकित्सा प्रभारी करेंगे और शाम को रिपोर्ट देंगे. किसी भी परिस्थिति में फाइलेरिया की दवाई पिलायी जानी है और जिला से फाइलेरिया का पूर्णत: उन्मूलन करना है. यह बातें जिला पदाधिकारी बैद्यनाथ यादव ने जिला समाहरणालय सभागार के आत्मन भवन में सिफार (सेन्टर फ़ॉर एडवोकेसी एंड रिसर्च) के सहयोग से आयोजित मीडिया कार्यशाला के दौरान कही. उन्होंने कहा कि इस दवा से कोई भी नुकसान नहीं होता है और सभी लोग इस दवाई का सेवन करें. दवाई खाने से फाइलेरिया से होने वाली बीमारी जैसे हाथी पांव की सूजन व हाइड्रोसिल से बचा जा सकता है.

डब्लूएचओ के जोनल कोऑर्डिनेटर डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि फाइलेरिया की रोकथाम के लिए दो दवाओं की नीति अपनाई जाती है. इसमें डाईइथाईल कार्बामाजीन व एलबेंडाजोल शामिल है. उन्होंने बताया इस दवा के सेवन से फाइलेरिया से मुक्त हुआ जा सकता है. फाइलेरिया के लक्षण नहीं दिखने पर भी इस दवा का सेवन करना जरूरी है. यह दवा सभी लोगों को खानी है.

अन्य विभागों की भी सहभागिता:

कार्यशाला में सीएमओ डॉ रवि शंकर प्रसाद ने कहा इस सर्वजन दवा सेवन कार्यक्रम में स्वास्थ्य विभाग के साथ जीविका, शिक्षा विभाग और पंचायती राज विभाग का सहयोग प्राप्त होगा. ये दवा हर एक आदमी को खानी है जो जिले से संबंध रखता है. उसे फाइलेरिया का खतरा है. इस दवाई के सेवन का कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. यदि इस दवा के खाने के बाद उल्टी, हल्का बुखार या चक्कर आता है तो इससे घबराने की जरूरत नहीं है. बल्कि इसे समझने की जरूरत है कि उसमें फाइलेरिया के जीवाणु मौजूद हैं और यह लक्षणों में से एक है. यानी वह व्यक्ति फाइलेरिया जीवाणु से प्रभावित है.

आशाएं देंगी फाइलेरिया की दवा:

वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ अजय कुमार सिंह ने कहा कि अभियान के दौरान 35 लाख से अधिक लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. 1306 टीम तैयार किया गया है. प्रत्येक टीम में दो आशा रहेंगी. 2483 आशाओं को एवं 128 आंगनवाड़ी सेविकाओं को फाइलेरिया की दवा खिलाने के काम की जिम्मेदारी दी गयी है. प्रत्येक छठे दिन पर आशा दोबार घर घर जायेंगी और यह सुनिश्चित करेंगी कि परिवार में फाइलेरिया की दवा खिलायी गयी है या नहीं. वहीं दवा खिलाने का काम आशा के सामने ही होगा. आशा यह भी सुनिश्चित करेंगी कि दवा उनके सामने दिया गया है. अररिया के सभी नौ प्रखंडों में दवा खिलाने का काम होगा. पोलिया अभियान की तरह ही फाइलेरिया उन्मूलन अभियान के दौरान दवाई सेवन के बाद बायें हाथ की तर्जनी उंगली के नाखुन पर मार्किंग की जायेगी.

इन लोगों को नहीं खानी है दवा:

डब्लूएचओ के डॉ दिलीप कुमार ने बताया कि फाइलेरिया की दवा दो साल से कम उम्र के बच्चों को नहीं दी जानी है. साथ ही गर्भवती महिलाओं व गंभीर रूप से बीमार लोगों को यह दवा नहीं खिलाया जायेगा. अलबेंडाजोल की 1 गोली सभी लोगों को दिया जाना है. डीईसी दो साल से पांच साल की उम्र के बच्चों को एक गोली, छह साल से पंद्रह साल के बच्चों को दो गोली और सोलह साल उम्र व इससे अधिक उम्र वाले लोगों को तीन गोली दिया जाना है.

कार्यशाला में सिविल सर्जन डॉ मदन मोहन प्रसाद सिंह, भीबीडी जिला सलाहकार वाई. सुरेंद्र बाबू, विश्व स्वास्थ्य संगठन के डॉ दिलीप कुमार, सीफार से प्रवीण कुमार, पीसीआई के सोशल मोबिलाइजेशन कोऑर्डिनेटर सुनील कुमार मंडल व अन्य स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे.

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