सही मायने में लोकतंत्र की क्या परिभाषा है इसको लेकर कई महान विद्वानों ने अपने-अपने शब्दों में परिभाषित किया है।
परंतु भारत में वर्तमान प्रजातंत्र की शासन व्यवस्था ने यह साबित कर दिया है कि अब्राहम लिंकन द्वारा दी गई प्रजातंत्र की परिभाषा भारत के वर्तमान परिस्थितियों के परिपेक्ष में बिल्कुल विपरीत है। भारत के वर्तमान शासक के नीतियों के आधार पर उनकी प्रजातंत्र को लेकर क्या परिभाषा है, को स्वत: स्पष्ट करती है।
अब्राहम लिंकन द्वारा प्रतिपादित लोकतंत्र की परिभाषा – लोकतंत्र जनता का, जनता के लिए और जनता द्वारा शासन – प्रामाणिक मानी जाती है। लोकतंत्र में जनता ही सत्ताधारी होती है, उसकी अनुमति से शासन होता है, उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है।
नरेंद्र मोदी द्वारा प्रतिपादित लोकतंत्र की परिभाषा – अम्बानी और अडानी का, अम्बानी और अडानी के लिए, मोदी-शाह द्वारा शासन – प्रामाणिक मानी जाती है। लोकतंत्र में जनता मोदी और शाह की तथा मोदी और शाह पूंजीपतियों की गुलाम होती है, उसकी अनुमति से शासन होता है, उसकी प्रगति ही शासन का एकमात्र लक्ष्य माना जाता है।