जमालपुर
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मुंह चिढ़ा रहा है जमालपुर का बियाडा क्षेत्र
15 वर्षों में विकास की गलबैंया नहीं खेल पाया बियाडा
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मुंगेर, जमालपुर। जिस विकास की बात नीतीश कुमार और सांसद ललन सिंह करते हैं। उस विकास में जमालपुर का महत्वपूर्ण स्थान बियाडा गलबैंंया नहीं खेल पाया और नजरिया सुनी की सुनी रह गई है ।
स्थिति ये हुई कि बस्ले की रात वाली स्थिति है कि नजरिया झुकी झुकी रह गई। ऐतिहासिक शहर जमालपुर रेल नगर के नाम से प्रसिद्ध है और इस शहर के पहाड़ के तलहटी में जमालपुर डीजल शेड बियाडा को देखकर दम तोड़ने वाली है। क्योंकि बियाडा की स्थापना जिस विकास को लेकर हुआ था वह दम तोड़ दिया। शैलेस कुमार आए उन्होंने वादा किया विकास की ऐसी रेखा खींचूँँगा कि जमालपुर शहर चमन हो जाएगा । इस संदर्भ लोजपा नेता दुर्गेश सिंह ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि विकास की रेखा खींची ऐसी विकास की रेखा जो सिर्फ और सिर्फ ठेकेदारी की हो । जिससे ठेकेदार और दलाल मालामाल हो। लेकिन गरीबों का रोजी रोटी चले ऐसी लंबी रेखा भी कहीं नजर नहीं आ रही है।बता दूं कि जमालपुर की जनता ने मंत्री शैलेस को हाथों हाथ लिया और दिल में बैठाकर उपेन्द्र वर्मा के खिलाफ इन्हें विधायक बनाया और आज तक इन्होंने बियाडा की जमीन पर या बियाडा के उद्योग पर मुड़कर नहीं देखा। दुर्भाग्य की बात है कि मंत्री जी विकास की बात कहते नहीं थकते हैं । रोड नाले सड़क विद्यालय बनाने का रिपोर्ट कार्ड जारी करते हैं। लेकिन जिससे रोजी रोटी मुहैया उसकी फिक्र इनको नहीं है । आज स्थिति यह हुई है कि इलेक्ट्रिक ने डीजल शेड को भी मारना आरंभ कर दिया है और बंद होने के कगार पर है। लेकिन विकास किरण सरकार के मुखिया और मंत्री कहते नहीं थकते हैं। इस संदर्भ में कई उद्यमियों ने बताया कि 7-8-9 जून 1976 को मुंगेर टाउन हॉल में एक सेमिनार का आयोजन राज्य सरकार ने की थी। जिसमें सरकार की ओर से कहा गया था कि बियाडा क्षेत्रों में स्थापित इकाइयां के उत्पादित माल रेल कारखाना जमालपुर एवं आईटीसी मुंगेर द्वारा आवश्यकतानुसार खरीद की जाएगी एवं ये रेल कारखाना की अनुषंगी इकाई होगी। सेमिनार से प्रभावित होकर विजय शंकर सिन्हा एवं सुखदेव पौदार ने सरकारी अधिकारियों के साथ पहाड़ी किनारे 24.2 एकड़ जमीन सन् 1979-80 लिये। इसके साथ ही 33 अन्य उधमियों ने भी जमीन चयन कर उधोग स्थापित किया। और 3-4 साल के अंतराल में एवं वित्तीय संकट पूंजी के अभाव में सरकार द्वारा किए वायदे के अनुरूप अनुदान उपलब्ध नहीं होना ,बिजली की अभाव के कारण स्थापित इकाइयां एक-एक कर बंद होने लगी। हजारों हजार मजदूर बेरोजगार हो गए। निराश हताश उद्यमियों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि सरकार एवं सरकार के मंत्री जो विकास की ढोल पीट रहे हैं विकास की वास्तविकता देखनी है तो पहाड़ के तलहटी में बसे औद्योगिक क्षेत्र बियाडा का उजरा चमन का अवशेष क्षेत्र के विकास लिए काफी हैं। आगे कहा कि पूर्व एवं वर्तमान सरकार एवं मंत्री इन क्षेत्रों में पलट कर भी नहीं देखा क्या यही विकास हैं। 2020 विधानसभा चुनाव परिणाम ने करवटें ली और जनता का आक्रोश देखा। अब देखना लाजिमी है कि वर्तमान विधायक जनता के विश्वास पर कितना खङा जमीन पर उतर पाते हैं। इस संदर्भ में स्थानीय विधायक अजय सिंह से फोन पर बात कर पक्ष जानना चाहा बात नहीं हुई।